कांग्रेस में घमासान पर बात लेकिन नहीं निकला समाधान, असंतुष्ट नेता अपनी बात पर रहे अडिग
कांग्रेस ने पार्टी के भीतर नेतृत्व के सवाल पर जारी अंदरूनी घमासान को थामने के लिए बैठक जरूर बुलाई लेकिन नतीजों के हिसाब से अभी इस ममसले पर कोई समाधान नहीं निकला है। जानें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से शनिवार को बुलाई गई बैठक में क्या हुआ...
संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस संगठन से लेकर नेतृत्व के सवाल पर जारी अंदरूनी घमासान को थामने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से शनिवार को बुलाई गई अहम बैठक पत्र विवाद के मुद्दों पर चर्चा के लिहाज से आगे जरूर बढ़ी मगर नतीजों के हिसाब से अभी कोई समाधान नहीं निकला है। पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस की दशा-दिशा सुधारने के लिए चिंतन शिविर बुलाने जैसे सुझावों को तत्काल मान लिया। मगर असंतुष्ट जी-23 गुट के नेता कांग्रेस संसदीय बोर्ड के गठन से लेकर पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की अपनी बात पर अब भी अडिग हैं।
राहुल के नाम पर बजी तालियां, असंतुष्ट नेता रहे मौन
शायद इसीलिए नेतृत्व के करीबी नेताओं ने जब राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की पैरोकारी करते हुए तालियां बजाईं तब असंतुष्ट नेता मौन रहे, मगर इस पर एतराज जताने से परहेज किया। पार्टी हाईकमान और असंतुष्ट खेमे के बीच इस पर सहमति जरूर बनी कि कांग्रेस के मौजूदा संकट के समाधान के लिए बातचीत का यह दौर आगे जारी रहेगा।
मुद्दों पर समाधान निकलना बाकी
नेतृत्व को लेकर लंबे समय से जारी असमंजस के साथ कांग्रेस की कमजोर होती जमीन पर असंतुष्ट गुट के नेताओं के पत्र विवाद के बाद दस जनपथ में सोनिया गांधी ने पहली बार इन नेताओं के साथ पांच घंटे की लंबी बैठक की। इसमें जी-23 के नेताओं के साथ हाईकमान के कुछ करीबी नेता, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद थीं। सूत्रों के अनुसार, बैठक में असंतुष्ट खेमे की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने आखिर में कहा कि बेशक पत्र में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा शुरू हुई मगर उनका समाधान निकलना बाकी है।
...तो पांच घंटे की बैठक क्यों
कांग्रेस की मौजूदा गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए आजाद ने पार्टी में समावेशी नजरिये के साथ सामूहिक नेतृत्व की बात उठाई। असंतुष्ट खेमे के नेता ने पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पार्टी में कोई विवाद नहीं रह गया है, उनका कहना था कि जब विवाद नहीं है तो पांच घंटे की यह बैठक क्यों हुई।
संसदीय बोर्ड का गठन जरूरी : चिदंबरम
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के मौजूदा संकट में तटस्थ भूमिका निभा रहे पी. चिदंबरम ने बैठक में कहा कि पार्टी संसदीय बोर्ड का गठन अपरिहार्य जरूरत है। देश में एकतरफा राजनीतिक संवाद रोकने में कांग्रेस अक्षम साबित हो रही है। अहम राष्ट्रीय, आर्थिक व राजनीतिक विषयों पर पार्टी का नजरिया तत्काल तय कर भाजपा की चुनौती का जवाब देने के लिए संसदीय बोर्ड जरूरी है। संगठन के मौजूदा कमजोर ढांचे को दुरुस्त करने के लिए जिला, ब्लाक और बूथ स्तर की कमेटयों के गठन को चिदंबरम ने अपरिहार्य करार दिया।
सोनिया-प्रियंका ने मनाने में दिखाई तत्परता
सूत्रों ने कहा कि सोनिया और प्रियंका गांधी ने इस बैठक में असंतुष्ट नेताओं के साथ मेल-मिलाप को लेकर ज्यादा गर्मजोशी और तत्परता दिखाई। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस एक बड़ा परिवार है और हम सबको मिलकर पार्टी की चुनौतियों का समाधान निकालना है। वहीं, प्रियंका की टिप्पणियों का सार था कि पार्टी में इतने सारे वरिष्ठ नेताओं को नाराज नहीं रखा जा सकता।
राहुल बोले, वरिष्ठ नेताओं की है अहमियत
वरिष्ठ नेताओं के साथ रिश्तों को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं का कांग्रेस में अहम महत्व है और वह उनका पूरा सम्मान करते हैं। खासकर इनमें से कई वरिष्ठ नेता उनके पिता राजीव गांधी के दोस्त रहे हैं। वहीं, अंबिका सोनी ने कहा कि राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद सौंप दिया जाना चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री व दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने इससे सहमति जताई तब अजय माकन, पवन बंसल, एके एंटनी, भक्त चरण दास सरीखे हाईकमान के करीबी नेताओं ने तालियां बजाईं, जबकि असंतुष्ट खेमे के नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई।
पूरी हो चुनाव प्रक्रिया
इस पर राहुल ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है जिसे पूरा किया जाना चाहिए। राहुल ने कमल नाथ से यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते वह समझ रहे हों कि सरकार वह चला रहे थे मगर सच्चाई यह थी कि भाजपा-आरएसएस के कलेक्टर-एसपी शासन चला रहे थे। गहलोत से उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। जबकि चिदंबरम को सन्न करते हुए राहुल ने कहा कि तमिलनाडु में आप नहीं, द्रमुक चुनावी अखाड़े में दम लगा रहा है।
कार्यसमिति का चुनाव कराने की मांग
सूत्रों के मुताबिक, असंतुष्ट खेमे के नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने चर्चित पत्र में कांग्रेस कार्यसमिति का चुनाव कराने की मांग को बैठक में उठाते हुए कहा कि यह इसीलिए जरूरी है ताकि जवाबदेही तय हो। अभी मनोनीत होने वाले नेताओं की नाकामी का दोष हाईकमान पर ही जाता है। चुनाव होगा तो नेतृत्व इसकी आंच से बच सकेगा। चव्हाण ने ही शिमला और पचमढ़ी की तर्ज पर चिंतन शिविर का सुझाव दिया जिस पर सोनिया गांधी ने तत्काल हामी भर दी।
हुड्डा ने सचिवों की नियुक्ति पर उठाए सवाल
जी-23 में शामिल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कांग्रेस संगठन में बड़ी संख्या में सचिवों की नियुक्ति जैसे कदमों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनमें से कइयों को तो एआइसीसी के गार्ड भी नहीं पहचानते। उन्होंने कहा कि चाहे संख्या कम हो मगर जाने-पहचाने चेहरों को ऐसी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। बहरहाल, बैठक के अंत में दोनों खेमों ने कांग्रेस और उसकी विचारधारा को मजबूत बनाने के लिए मिलजुलकर काम करने पर सैद्धांतिक सहमति जरूर जताई। बैठक में असंतुष्ट खेमे से आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा, शशि थरूर और हाईकमान के निकट नेताओं में हरीश रावत, पवन बसंल, भक्त चरण दास आदि शामिल थे।