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अब रेरा को लेकर नहीं होगी कोई रार, पारदर्शिता लाने के लिए एकल प्लेटफार्म पर होंगे सभी राज्य

रियल एस्टेट के कारोबार में रेरा नंबर अनिवार्य कर दिया गया है। शहरी विकास सचिव ने कहा है कि उपभोक्ता बिना रेरा नंबर के किसी प्रोजेक्ट में कोई भी उपभोक्ता अपना मकान बुक न कराएं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 09:26 PM (IST)
अब रेरा को लेकर नहीं होगी कोई रार, पारदर्शिता लाने के लिए एकल प्लेटफार्म पर होंगे सभी राज्य
अब रेरा को लेकर नहीं होगी कोई रार, पारदर्शिता लाने के लिए एकल प्लेटफार्म पर होंगे सभी राज्य

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लागू रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) को लेकर राज्यों को एक प्लेटफार्म पर लाने की तैयारी शुरु कर दी गई है। ताकि रेरा को लेकर अब इसके पक्षकारों के बीच किसी तरह की रार न हो सके। राज्यों में स्थापित भू संपदा विनियामक प्राधिकरण के फैसलों में विरोधाभास को रोका जा सके। यह जानकारी केंद्रीय शहरी विकास सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने दी।

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उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे क्षेत्रीय फोरम के माध्यम से इस दिशा में आगे बढ़ें। केंद्र सरकार इसमें उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराएगी। डिजिटल प्लेटफार्म पर सभी राज्यों के रेरा के फैसले और अन्य जानकारियों के समय से आ जाने से उपभोक्ताओं के साथ रियल एस्टेट एजेंट, बिल्डर और राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों को इसका फायदा मिल सकेगा।

रियल एस्टेट कानून में राज्यों की ओर से संशोधन करने उसके प्रावधानों को ढीला करने के सवाल पर मिश्र ने बताया कि इस तरह की खामियां सामने आने पर कार्रवाई की जा सकती है। केंद्र सरकार इस बारे में राज्यों को लगातार आगाह करती रही है। फिर भी इस तरह सूचना मिलने पर ऐसे राज्य सरकारों के खिलाफ कोई भी उपभोक्ता अदालत जाकर चुनौती दे सकता है।

आश्चर्य जताते हुए उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट बनाकर प्राधिकरण का गठन कर लिया है। पश्चिम बंगाल ने रेरा की जगह हाऊसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट (हीरा) बना लिया है। इसके प्रावधान बिल्डरों को फायदा पहुंचाने वाले हैं। केंद्र ने इस बारे में राज्य सरकार को सख्त लहजे में पत्र लिखा था, लेकिन इसे किसी उपभोक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो जल्दी ही समाप्त हो सकता है।

इसी तरह हरियाणा ने एक प्राधिकरण की जगह दो बना रखा है, जिसमें से एक पंचकुला में बैठता है तो दूसरा गुड़गांव में। इससे भी आने वाले दिनों में एक ही राज्य के दोनों रेरा एक मुद्दे पर विरोधाभासी फैसला सुना सकते हैं। इसे भी एक किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों की जानकारी डिजीटल प्लेटफार्म के बन जाने से फायदा मिलेगा।

शहरी विकास सचिव मिश्र ने जोर देकर उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे बिना रेरा नंबर के किसी प्रोजेक्ट में कोई भी उपभोक्ता अपना मकान बुक न कराएं। रियल एस्टेट के कारोबार में रेरा नंबर अनिवार्य कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि अब तक रेरा में 42 हजार मामले आ चुके हैं। जबकि रियल एजेंटों ने भी 32 हजार मामले दर्ज कराये हैं। रेरा को मजबूत बनाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ लोगों को भी जागरुक बनाने पर सरकार का जोर है।

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