NRC पर लोकसभा में सरकार का लिखित जवाब, पूरे देश में लागू करने पर अभी फैसला नहीं
गृह मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भले ही पूरे देश में एनआरसी को लेकर प्रदर्शनों का दौर जारी है, लेकिन सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि इसको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार ने संसद में बाकायदा लिखित जवाब में यह बता दिया है। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को लेकर सरकार के भीतर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि 'अभी तक, सरकार ने 'भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरआइसी)' को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है।' इससे पहले 22 दिसंबर को दिल्ली में एक रैली में प्रधानमंत्री ने भी साफ-साफ कहा था कि जबसे 2014 से उनकी सरकार सत्ता में आई है एनआरसी को लेकर सरकार के भीतर कोई चर्चा ही नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है और साथ ही यह आश्वासन भी दिया था कि जब भी एनआरसी आएगा किसी भी भारतीय नागरिक को इससे डरने की जरूरत नहीं है।
MoS Home Nityanand Rai in a written reply to a question in Lok Sabha: Till now, the government has not taken any decision to prepare National Register of Indian Citizens (NRIC) at the national level. pic.twitter.com/e3OarkJv9x
— ANI (@ANI) February 4, 2020
दरअसल लोकसभा में सांसद चंदन सिंह और नामा नागेश्वर राव ने एनआरसी को लेकर सरकार से पांच सवाल पूछे थे, जिनमें एनआरसी शुरू करने की योजना, इसके पीछे का उद्देश्य, इसके लिए तय समय सीमा, इससे पड़ने वाले आर्थिक बोझ और राज्य सरकारों से विचार-विमर्श किये जाने से जैसे सवाल थे। लेकिन नित्यानंद राय ने साफ कर दिया कि चूंकि एनआरसी पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है, इसीलिए इन सवालों का कोई आचित्य ही नहीं है।
इसके पहले सदन के मौजूदा सत्र के संयुक्त अधिवेशन को संबोधन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने भी एनआरसी का जिक्र नहीं किया था। जबकि नई लोकसभा के गठन के बाद पहले संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने एनआरसी को नई सरकार की प्राथमिकता में गिनाया था। यही नहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने भी सीएए पर चर्चा के दौरान में में एनआरसी लाने की प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन सीएए से एनपीआर और एनआरसी जोड़कर आम जनता को गुमराह किये जाने के बाद सरकार इसे लेकर सतर्क हो गई है। सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर को लागू कराने की है। सीएए में केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके विरोध के औचित्य को सही ठहराना आसान नहीं है। इसी तरह एनपीआर का भी विरोध केवल एनआरसी से जोड़कर हो रहा है। ऐसे में सरकार फिलहाल एनआरसी को आगे बढ़ाकर विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के मूड में नहीं है।