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क्या एक साथ होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव, आयोग ने फिर कहा- कोई चांस नहीं

सरकार के एक साथ चुनाव के विचार को चुनाव आयोग ने एक बार फिर सिरे से खारिज किया है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 07:39 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 12:36 AM (IST)
क्या एक साथ होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव, आयोग ने फिर कहा- कोई चांस नहीं
क्या एक साथ होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव, आयोग ने फिर कहा- कोई चांस नहीं

औरंगाबाद, [प्रेट्र]। कयासों को दरकिनार करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने गुरुवार को साफ कर दिया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव फिलहाल साथ नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, दोनों चुनाव साथ कराने के लिए कानूनी ढांचागत व्यवस्था होनी चाहिए जो इस समय नहीं है। उल्लेखनीय है कि दोनों चुनाव साथ कराने का प्रस्ताव काफी समय से चर्चा में है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा इसके पक्ष में है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में इसके पक्ष में व्यापक बहस की आवश्यकता जताई थी।

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हाल के हफ्तों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव टालने की चर्चा चली थी। संभावना जताई जा रही थी इन्हें अप्रैल-मई 2019 के प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है।  मिजोरम में विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर, 2018 को पूरा हो रहा है। जबकि छत्तीसगढ़ में पांच जनवरी, मध्य प्रदेश में सात जनवरी और राजस्थान में 20 जनवरी, 2019 को मौजूदा विधानसभा का समय पूरा हो रहा है। लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने इस चर्चा को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एक साथ चुनाव का कोई चांस नहीं। निकट भविष्य में ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए आवश्यक ढांचा मौजूद नहीं है।
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संविधान में संशोधन की होगी जरूरत
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी जिसकी प्रक्रिया को पूरा करने में करीब एक साल का समय लगेगा। कानून बनने के बाद उसके अनुसार इंतजाम करने में भी कुछ समय लगेगा। वैसे जानकारी मिली है कि इस दिशा में सक्रियता बरती जा रही है। रावत ने बताया कि लोकसभा चुनाव कराने को आयोग को तैयारी के लिए 14 महीने का समय अपेक्षित होता है। आयोग के पास 400 स्थायी कर्मी हैं लेकिन उसे चुनाव के लिए 1.11 करोड़ अधिकारी और कर्मचारी तैनात करने होते हैं।

इवीएम की शिकायत चिंताजनक नहीं
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) को लेकर शिकायतों पर रावत ने कहा, मशीनों के खराब होने की शिकायतें चिंताजनक नहीं हैं। महज 0.5 से 0.6 प्रतिशत मशीनें खराब होने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इतनी तकनीक खराबी स्वीकार करनी होगी।

वोटर वेरीफाइड पेपर ट्रेल मशीनों के इस्तेमाल का नया चलन शुरू हुआ है। राजनीतिक दबाव है कि इन मशीनों का शत प्रतिशत मतदान केंद्रों पर इस्तेमाल हो। चुनाव आयोग इसके लिए प्रयास कर रहा है। मेघालय उपचुनाव में पेपर ट्रेल मशीनों में गड़बड़ी पर रावत ने कहा, वहां पर वातावरण की आ‌र्द्रता का असर मशीनों पर बड़ा। 


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