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गडकरी ने बताया, कैसे इलेक्‍ट्र‍िक वाहनों के कारण खुद चलन से बाहर हो जाएंगे पेट्रोल-डीजल वाहन

इलेक्‍ट्र‍िक वाहनों से होने वाली बचत की चर्चा करते हुए गडकरी ने कहा कि यदि हम वाहन को बिजली पर चलाएं तो ये 15 रुपये प्रति लीटर कीमत पर डीजल की गाड़ी चलाने जितना सस्ता पड़ेगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 08:13 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 09:11 PM (IST)
गडकरी ने बताया, कैसे इलेक्‍ट्र‍िक वाहनों के कारण खुद चलन से बाहर हो जाएंगे पेट्रोल-डीजल वाहन
गडकरी ने बताया, कैसे इलेक्‍ट्र‍िक वाहनों के कारण खुद चलन से बाहर हो जाएंगे पेट्रोल-डीजल वाहन

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोल, डीजल वाहन निर्माताओं के लिए एक और राहत वाली खबर आई है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इलेक्‍ट्र‍िक  वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल, डीजल वाहनों पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है। ज्यों-ज्यों इलेक्‍ट्र‍िक वाहन लोकप्रिय होंगे, पेट्रोल, डीजल वाहनों का उत्पादन खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा।

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पेट्रोल, डीजल वाहनों पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में ऊर्जा कुशलता पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, 'मैं हमेशा इलेक्‍ट्र‍िक कारों, बाइक और बसों की बात करता रहा हूं। अब इनका उत्पादन स्वाभाविक रूप से शुरू हो गया है। इसलिए इसे अनिवार्य करने की कोई जरूरत नहीं है। इसी प्रकार पेट्रोल, डीजल वाहनों पर रोक लगाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। अगले दो वर्षों में सभी बसें या तो इलेक्‍ट्र‍िक  या बायो एथनॉल तथा सीएनी पर चलने लगेंगी।'

जर्मनी से आयात किए प्लास्टिक के सिलिंडर

इलेक्टि्रक वाहनों से होने वाली बचत की चर्चा करते हुए गडकरी ने कहा कि यदि हम वाहन को बिजली पर चलाएं तो ये 15 रुपये प्रति लीटर कीमत पर डीजल की गाड़ी चलाने जितना सस्ता पड़ेगा। एक बैठक में जब मैंने ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ एक बैठक में ये कहा कि मैं देश में धुआं छोड़ने वाली मशीनों पर पाबंदी लगा दूंगा तो सारे लोग घबरा गए। परंतु अब हमारे पास जर्मनी से आयातित प्लास्टिक के सिलिंडर हैं जो एलएनजी की लागत 50 फीसद और सीएनजी की 40 फीसद घटा सकते हैं।

खरीद रहे पराली

गडकरी ने पुआल या पराली को स्वच्छ ईधन में बदलकर उससे बिजली पैदा करने तथा वाहन चलाने के लिए तकनीक के इस्तेमाल की भी चर्चा की। अभी किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को खेतों में ही जला देते हैं जिससे भारी वायु व मृदा प्रदूषण पैदा होता है। परंतु अब सरकार ने एनटीपीसी जैसी फर्मों के माध्यम से पराली को खरीदकर उनकी छोटी-छोटी गोलियां बनाने और फिर बिजली संयंत्रों में उनका इस्तेमाल ईंधन के तौर पर करना शुरू कर दिया है।

ऊर्जा खाऊ मशीनों को आइएसआइ मार्क न मिले

भारत में सभी मशीनों की ऊर्जा कुशलता के मानक तय किए जाने की जरूरत बताते हुए गडकरी ने कहा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) को ऐसी मशीनों को आइएसआइ चिह्न नहीं प्रदान करना चाहिए जो ऊर्जा खपत के मानकों पर खरी न उतरती हों। इससे हमारी प्रतिस्पद्धात्मक क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

बिजली दरों की नई नीति तैयार

सम्मेलन में मौजूद ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि नई बिजली दरों की नई नीति तैयार हो गई है जिसे कैबिनेट को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इससे एक क्षेत्र में कम दरों की भरपाई दूसरे क्षेत्र में दरें बढ़ाकर करने (क्रॉस सब्सिडी) से उत्पन्न समस्याओं का समाधान होगा। नई नीति में कचरे से बिजली बनाने वाली कंपनियों से बिजली खरीदना अनिवार्य किया गया है। ऐसे संयंत्रों को 'हर हालत में चलाए जाने वाले संयंत्रों' (मस्ट रन) की श्रेणी में रखा गया है। नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के मामले में हम इस नीति को पहले ही लागू कर चुके हैं।

एमएसएमई में ऊर्जा संरक्षण

सम्मेलन में मंत्रियों ने ब्यूरो आफ एनर्जी एफिशिएंसी द्वारा एमएसएमई ऊर्जा संरक्षण के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अलावा 'सिद्धि' नामक मैनेजमेंट पोर्टल भी लांच किया।


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