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कर्ज माफी के मुद्दे पर निर्मला सीतारमण बोलीं, फंसे कर्ज पर देश को गुमराह कर रहे राहुल गांधी

वित्त मंत्री ने तंज और परोक्ष आरोप लगाते हुए कहा कि ये विलफुल डिफॉल्टर्स वही लोग हैं जिन्हें यूपीए के कार्यकाल में फोन बैंकिंग का फायदा दिया गया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 05:14 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 10:59 PM (IST)
कर्ज माफी के मुद्दे पर निर्मला सीतारमण बोलीं, फंसे कर्ज पर देश को गुमराह कर रहे राहुल गांधी
कर्ज माफी के मुद्दे पर निर्मला सीतारमण बोलीं, फंसे कर्ज पर देश को गुमराह कर रहे राहुल गांधी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फंसे कर्जे को लेकर काग्रेस पार्टी और उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह से सरकार को घेरने की कोशिश की है उसका करारा जवाब स्वयं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया है। तथ्यों व आंकडों के साथ सीतारमण ने राहुल गांधी व कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वे इस मुद्दे पर देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं व बैंकिंग प्रावधानों से जुड़े नियमों को सनसनीखेज बना रहे हैं। वित्त मंत्री ने कांग्रेस को यह भी याद दिलाया है कि कांग्रेस नेतृत्व में गठित यूपीए-दो के कार्यकाल (2009 से 2014) के बीच 1.45 लाख करोड़ रुपये के बकाये कर्जे को बट्टे खाते में (राइट ऑफ) किया गया है।

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वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कांग्रेस नेता को दिए जवाब

वित्त मंत्री ने मंगलवार देर रात को ट्वीट के जरिए बिंदुवार कांग्रेस और राहुल का जवाब दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि एनडीए सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे भगोड़ों के 68 हजार करोड़ रुपये के बकाये कर्जे को बट्टे खाते में डाला है। कांग्रेस प्रवक्ता ने तो यह आरोप लगा दिया था कि इनका लोन माफ कर दिया गया। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा ''कांग्रेस नेता विलफुल डिफॉल्टर्स (जान बूझ कर कर्ज नहीं लौटाने वाले) पर देश को गुमराह कर रहे हैं। काश राहुल गांधी इससे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को इस बारे में सलाह मशविरा किये होते।'' सीतारमण ने आगे राइट ऑफ करने के नियमों के बारे में बताया है कि, ''आरबीआइ के नियमों के मुताबिक एनपीए के लिए चार वर्षो तक प्रावधान करना होता है। जब पूरा प्रावधान कर दिया जाता है तो बकाये कर्ज की राशि को राइट ऑफ कर दिया जाता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह माफ हो जाता है या फिर खाताधारक से कर्ज वसूलने की कोशिश नहीं होती है। कोई भी कर्ज माफ नहीं हुआ है।''

वित्त मंत्री ने लगाया आरोप, फोन बैंकिंग का दिया था फायदा

वित्त मंत्री ने तंज और परोक्ष आरोप लगाते हुए कहा कि ये विलफुल डिफॉल्टर्स वही लोग हैं जिन्हें यूपीए के कार्यकाल में 'फोन बैंकिंग' का फायदा दिया गया था।'' सनद रहे कि इसके पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा में एक भाषण में यूपीए के कार्यकाल में फोन बैंकिंग का जिक्र किया था। इसका मतलब यह है कि यूपीए में बड़े लोगों के कहने पर बैंकों ने उन लोगों को कर्ज दिया जो इसे ले कर फरार हो गये और इससे एनपीए की समस्या गंभीर हुई। बाद में आरबीआइ के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने भी एक साक्षात्कार में यह बताया कि यूपीए के कार्यकाल में आंख मूंद कर जो कर्ज दिया गया उसकी वजह से ही एनपीए की समस्या ने विकराल रूप धारण किया। सीतारमण ने अपनी ट्वीट में राजन के इस बयान का भी जिक्र किया है।

सिलसिलेवार तरीके से दिया जवाब

मेहुल चोकसी और विजय माल्या के सरकार से संबंधों पर कांग्रेस के आरोपों का भी उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया। सीतारमण ने लिखा है कि नीरव मोदी के मामले में 2387 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को जब्त किया गया है। इसमें 961.47 करोड़ रुपये की राशि की संपत्तियां विदेश में जब्त की गई हैं। विजय माल्या मामले में 8040 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां जब्त की गई हैं। मेहुल चोकसी के मामले में 1936.95 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं। इन तीनों से जुड़ी कुल 18,332.7 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों को जब्त किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के पीछे पड़ी हुई है। अभी तक 9967 रिकवरी (कर्ज वसूली के) के मामलों में 3515 एफआइआर दर्ज हो चुके हैं।

सीतारमण ने कहा कि सरकार ने संसद के अंदर भी ऐसे डिफाल्टर के बारे में जानकारी दी थी। लेकिन कांग्रेस व राहुल गांधी सत्ता में रहते हुए और विपक्ष में आकर भी व्यवस्था को साफ करने में कोई सकारात्मक मदद की मंशा नहीं रखते हैं। बैंकिंग व्यवस्था की कार्रवाई को सनसनीखेज बना रहे हैं।


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