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नीरव मोदी ने इस तकनीक से लगाया था बैंकों को चूना, RBI ने पूछा- खामियां दूर की या नहीं?

आरबीआइ नीरव मोदी जैसे धांधली करने वाले उद्योगपतियों को सिस्टम से बाहर करने संबंधी कदम उठाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 07:55 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 01:31 AM (IST)
नीरव मोदी ने इस तकनीक से लगाया था बैंकों को चूना, RBI ने पूछा- खामियां दूर की या नहीं?
नीरव मोदी ने इस तकनीक से लगाया था बैंकों को चूना, RBI ने पूछा- खामियां दूर की या नहीं?

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फरवरी, 2018 में उद्योगपति नीरव मोदी की तरफ से पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को चूना लगाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया था उसको लेकर आरबीआइ ने एक बार फिर देश के बैंकों से सवाल पूछे हैं।

आरबीआई ने हाल ही में देश के कुछ बड़े बैंकों को पत्र लिख कर यह पूछा है कि उन्होंने विदेश में ग्राहकों को पैसा ट्रांसफर करने की तकनीक स्विफ्ट (सोसायटी फॉर व‌र्ल्डवाइड फाइनेंसिएल टेलीकम्यूनिकेशंस) की खामियों को दूर किया है या नहीं। वैसे पीएनबी, एसबीआइ समेत तमाम बैंक पहले ही दावा कर चुके हैं कि उन्होंने नीरव मोदी और उसके अन्य रिश्तेदारों की तरफ से जिस तकनीकी खामी के आधार पर धोखाधड़ी की गई थी उसे दूर कर लिया है।

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स्विफ्ट तकनीक की मदद से एक बैंक से कुछ ही मिनटों में विदेश स्थित दूसरे बैंकों की शाखाओं को पैसा ट्रांसफर हो जाता है। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने बैंक अधिकारियों की मिली भगत से इस तकनीक में एक खामी तलाश ली थी। वे इसके जरिए पैसा जो दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करते थे लेकिन वह पैसे पीएनबी के कोर बैंकिंग सिस्टम में तत्काल नहीं दिखाया जाता था।

सीबीआइ की तरफ से मोदी व चोकसी के खिलाफ दायर चार्जशीट में इन खामियों का खुलासा किया गया था। इन खामियों को दुरुस्त करने के लिए आरबीआइ अगस्त, 2017 से फरवरी, 2018 के बीच तीन बार सभी बैंकों को ताकीद कर चुका था लेकिन फिर भी बैंकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था।

वैसे अब ये तमाम बैंक कहते हैं कि उन्होंने स्विफ्ट को दुरुस्त कर लिया है और अब इसके जरिए किया गया कोई भी वित्तीय लेन देन बगैर कोर बैंकिंग सिस्टम के नहीं होगा। साथ ही स्विफ्ट सिस्टम के संचालन में एक निश्चित अंतराल पर कर्मचारियों को बदल दिया जाता है ताकि वे बड़े खाताधारकों के साथ कोई संपर्क नहीं बना सके।

आरबीआइ ने इस घोटाले के सामने आने के बाद मशहूर वित्तीय विश्लेषक व आरबीआइ निदेशक बोर्ड के पूर्व सदस्य वाइ एस मालेघम की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति भी बनाई थी। समिति को कहा गया था कि वह बैंकिंग फ्राड रोकने के साथ ही कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़ी कंपनियों की गतिविधियों को समय से पहचानने पर भी अपनी सिफारिशें दे।

समिति की रिपोर्ट का इंतजार है जिसके आधार पर माना जा रहा है कि आरबीआइ नीरव मोदी जैसे धांधली करने वाले उद्योगपतियों को सिस्टम से बाहर करने संबंधी कदम उठाएगा।


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