NIA कानून को मिलेगी मजबूती, जानिए कैसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकेगी जांच एजेंसी
आतंकवाद के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने के उद्देश्य से लोकसभा में गरमागरम बहस के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) संशोधित विधेयक 2019 पारित हो गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आतंकवाद के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने के उद्देश्य से लोकसभा में गरमागरम बहस के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) संशोधित विधेयक 2019 पारित हो गया है। अब संशोधित विधेयक के राज्यसभा से पारित होने का इंतजार है, जिसके बाद एनआइए पहले से और अधिक मजबूत हो जाएगी। आइये जानते हैं कि एनआइए (संशोधन) विधेयक में क्या बदलाव किए गए हैं?
विधेयक में ये हुए बदलाव
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, एनआइए अधिनियम 2008 में तीन प्रमुख संशोधन किए गए हैं।
-पहला बदलाव अपराधों का प्रकार है, जिसकी जांच एनआइए कर सकती है और मुकदमा चला सकती है। मौजूदा अधिनियम के तहत, एनआइए परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 जैसे अधिनियमों के तहत अपराधों की जांच कर सकती है।
-संशोधित विधेयक एनआइए को मानव तस्करी, जाली मुद्रा, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद, और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 जैसे अपराधों की जांच करने में सक्षम बनाएगा।
-दूसरा परिवर्तन एनआइए के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। मौजूदा अधिनियम के तहत, इसके दायरे में आने वाले अपराधों के लिए, एनआइए अधिकारियों के पास अन्य पुलिस अधिकारियों के समान शक्ति होती है। देश के किसी भी राज्य में जांच करने के लिए यह स्वतंत्र है।
लेकिन संशोधित विधेयक एनआइए अधिकारियों को भारत के बाहर किए गए अपराधों की जांच करने की शक्ति प्रदान करता है। हालांकि एनआइए का क्षेत्राधिकार अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन होगा।
-तीसरा परिवर्तन एनआइए के दायरे में आने वाले अपराधों या तथाकथित सूचीबद्ध अपराधों के लिए विशेष परीक्षण अदालतों से संबंधित है। मौजूदा अधिनियम केंद्र को एनआइए की जांच के लिए विशेष अदालतों का गठन करने की अनुमति देता है। लेकिन संशोधित विधेयक केंद्र सरकार को इस तरह की जांच के लिए सत्र अदालतों को विशेष अदालत के रूप में गठित करने शक्ति प्रदान करता है।
जांच एजेंसी का कब हुआ गठन
भारत में आंतकवाद से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2008 को संसद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एक्ट 2008 पारित कर एनआइए का गठन किया था। यह एजेंसी देश में आंतकवाद से जुड़ी किसी भी जांच के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए इसे राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं है।