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सिविल सेवा में अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की नई उड़ान, सरकार ने किया सम्‍मानित

पिछले तीन साल से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की ओर से नई उड़ान योजना चलाई जा रही है जिसमें सिविल सेवा मेडिकल इंजीनियरिंग आदि के लिए कोचिंग दी जाती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 07:05 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 07:05 PM (IST)
सिविल सेवा में अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की नई उड़ान, सरकार ने किया सम्‍मानित
सिविल सेवा में अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की नई उड़ान, सरकार ने किया सम्‍मानित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सिविल सेवा में चयनित दो दर्जन अल्पसंख्यक युवाओं को सरकार ने मंगलवार को सम्मानित किया। ये वो युवा हैं जिन्होंने केंद्र सरकार की ओर से विशेषकर अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और गरीबों के लिए आयोजित कोचिंग से पढ़ाई में मदद ली थी। इस साल अल्पसंख्यक वर्ग से कुल 145 ने सिविल सेवा पास की थी जिसमें से 22 सरकार की मदद से 'नई उड़ान' के लिए तैयार हैं। 

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सरकारी कोचिंग से पढ़कर 22 बच्चों ने मारी

पिछले तीन साल से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की ओर से नई उड़ान योजना चलाई जा रही है जिसमें सिविल सेवा के साथ साथ मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि के लिए कोचिंग दी जाती है। इसका लाभ भी दिखने लगा है। केवल सिविल सेवा की बात की जाए तो लगातार अल्पसंख्यक युवाओं का प्रदर्शन बढ़ रहा है। 2017 में 126, दूसरे साल 131 और 2019 में 145 सफल युवा अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। उससे भी रोचक यह है कि सरकारी मदद से कोचिंग लेने वालों मे जहां पिछले साल नौ युवाओं ने बाजी मारी थी। वहीं इस बार यह बढ़कर 22 हो गया है। 

नकवी, जितेंद्र सिंह और रिजीजू  ने बच्चों को किया सम्मानित

मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और युवा व खेल मंत्री किरन रिजीजू ने सफल 22 युवाओं से मुलाकात की और सम्मानित किया। नकवी ने कहा कि यह नतीजा उन्हें जवाब है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक- शैक्षणिक तरक्की पर सवाल खड़ा करते हैं।

आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से पहले 2 करोड़ 94 लाख अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई थी। जबकि 2014 के बाद से अब तक छह वर्षो मे 4 करोड़ 60 लाख अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्ति दी गई है। पिछड़े अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में 34 हजार से ज्यादा स्कूल कालेज, हास्टल आदि खोले गए हैं। सिविल सेवा मे अल्पसंख्यक पिछड़े बच्चों की हिस्सेदारी बढ़ी है।


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