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मोदी की 'नेबरहुड फ‌र्स्ट' नीति का नया रंग, छोटे पड़ोसी देशों के लिए और उदार होगा दिल

भारत इन देशों पर ना तो अपनी पसंद की परियोजनाओं को थोपेगा और ना ही इन्हें किन शर्तो के साथ मदद दी जाए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 08:38 PM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 08:38 PM (IST)
मोदी की 'नेबरहुड फ‌र्स्ट' नीति का नया रंग, छोटे पड़ोसी देशों के लिए और उदार होगा दिल
मोदी की 'नेबरहुड फ‌र्स्ट' नीति का नया रंग, छोटे पड़ोसी देशों के लिए और उदार होगा दिल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार के कार्यकाल में 'नेबरहुड फ‌र्स्ट' की नीति का नया रंग अब देखने को मिलने वाला है। एक तरफ जहां सीमाओं से परे दिल के करीब देशों के साथ व्यवहार गहराएगा। वहीं छोटे-छोटे देशों को आर्थिक सहायता के साथ साथ विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं की भी नींव रखेगा। दो दिन पहले ही मालदीव की सबसे बड़ी ढांचागत परियोजना लगाने का ऐलान करने के बाद भारत की तरफ से जल्द ही नेपाल को लेकर इस तरह की घोषणा होगी। भारत की इकोनोमी खुद मंदी की गिरफ्त में है, लेकिन मदद पर इसका असर नहीं पड़ेगा।

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नेपाल व भारत के विदेश सचिवों की सोमवार को बैठक

सोमवार को नेपाल व भारत के विदेश सचिवों की अगुवाई में होने वाली बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से मई, 2018 में काठमांडू दौरे के दौरान जो भी घोषणाएँ की गई थी, उनकी समीक्षा की जाएगी। तब मोदी और नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली के बीच दोनो देशों के कारोबार संतुलन को नेपाल के पक्ष में और बेहतर बनाने को लेकर सहमति बनी थी। इसके अलावा 5000 मेगावाट की पंचमेश्वर परियोजना, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण, काठमांडू से रक्सौल होते हुए कोलकाता तक रेलवे लाईन बिछाने संबंधी 10 ढ़ांचागत परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा होगी। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं वर्ष 2016 से वर्ष 2018 के बीच हुई हैं।

नेपाल की बयानबाजी से परियोजनाओं की प्रगति पर कोई असर नहीं पड़ा

सूत्रों के मुताबिक इन सभी परियोजनाओं को लेकर भारत की तरफ से होने वाली तैयारियां लगभग पूरी हैं। जैसे वर्ष 2017 में भारत की तरफ से जो रेलवे परियोजनाओं की मदद का ऐलान किया गया था और दोनो की संभाव्यता रिपोर्ट जल्द ही पूरी होने वाली है। भारतीय अधिकारी स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि हाल के महीनों में नेपाल की तरफ से राजनीतिक मानचित्र को लेकर जो बयानबाजी की गई है उससे इन परियोजनाओं की प्रगति पर कोई असर नहीं पड़ा है। सनद रहे कि 15 अगस्त को नेपाली पीएम के पी शर्मा ओली व मोदी के बीच बात हुई है।

पड़ोसी देशों को मदद करने की भारत की मंशा

पड़ोसी देशों को मदद करने की भारत की मंशा का पता मालदीव के लिए तीन दिन पहले की गई घोषणा से भी चलता है। भारत ने वहां के तीन द्वीपों को कनेक्ट करने वाली मालदीव की सबसे बड़ी ढांचागत परियोजना शुरु करने का ऐलान किया है। इसके लिए अभी 40 करोड़ डॉलर की मदद दी जा रही है जिसे बाद में बढ़ाया भी सकता है। 6.72 किलोमीटर लंबी यह हाईवे परियोजना चीन की मदद से तैयार फ्रेंडशिप परियोजना तकरीबन चार गुणी बड़ी होगी। पिछले कुछ महीनों में भारत ने मालदीव के लिए 2.50 अरब डॉलर की परियोजनाओं का ऐलान कर चुका है।

भारत हिंद महासागर के तीनों पड़ोसी देशों मालदीव, श्रीलंका और मारीशस की कर रहा आर्थिक मदद

असलियत में भारत हिंद महासागर के तीनों पड़ोसी देशों मालदीव, श्रीलंका और मारीशस को अभी 7.5 अरब डॉलर की परियोजनाओं व आर्थिक मदद दी जा रही है। आगे इसे बढ़ाने को भी भारत तैयार है और कई दूसरी परियोजनाओं पर भी विमर्श हो रहा है। श्रीलंका की पस्त इकोनोमी व स्थानीय मुद्रा को राहत पहुंचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 40 करोड़ डॉलर की मदद देने की व्यवस्था की है। इसके अलावा 1.1 अरब डॉलर की दूसरी परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है जिसकी भी घोषणा जल्द की जा सकती है।

कोविड-19 के बावजूद बांग्लादेश और भूटान के लिए परियोजनाएं

इसी तरह से भारतीय कूटनीति की यह भी कोशिश होगी कि बांग्लादेश और भूटान की इस तरह से मदद की जाए ताकि वो कोविड-19 के प्रभाव से जल्द से जल्द निकल सके। कोविड-19 के बावजूद इन देशों के साथ भारतीय मदद से चलाई जा रही परियोजनाओं पर लगातार विमर्श चल रहा है और उनकी समीक्षा की जा रही है।

भारत पड़ोसी देशों पर अपनी पसंद की परियोजनाओं को नहीं थोपेगा

भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत इन देशों पर ना तो अपनी पसंद की परियोजनाओं को थोपेगा और ना ही इन्हें किन शर्तो के साथ मदद दी जाए। इस बारे मंें सारा फैसला इन देशों को ही करना है। यह तरीका चीन की तरफ से दी जाने वाली मदद से अलग है। सनद रहे कि कई देशों में चीन से मिलने वाली आर्थिक मदद को लेकर काफी बेचैनी है। चीन पर मदद के बहाने के ऋण जाल में फंसाने का आरोप लग रहे हैं। 


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