संसद के रास्ते जीएम फसलों का रास्ता होगा साफ
बायोसेफ्टी नियमन व जीएम फसलों की मंजूरी को स्पष्ट नीति की जरूरत है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। गंभीर विवादों में फंसी जीएम फसलों के खेतों तक पहुंचाने का रास्ता संसद से होकर ही निकलेगा। संसद के आगामी बजट सत्र में इस आशय के विधेयक के पेश किये जाने की संभावना है। कृषि क्षेत्र के लिए जनेटिक मॉडिफाइड टेक्नोलॉजी के बूते जहां ज्यादातर विकसित देशों में कृषि नित नई ऊंचाइयां छू रही है, वहीं भारत में इसके प्रवेश की मंजूरी 'गुड़ खाय गुलगुला से परहेज' की तर्ज पर दी गई है।
जीएम टेक्नोलॉजी का विरोध करने वालों में ज्यादातर आंदोलनकारी
घरेलू कृषि वैज्ञानिकों ने इस दिशा में शानदार कार्य किया है, लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिल पा रही है। जीएम टेक्नोलॉजी आधारित वाली बीटी कपास की खेती को कई दशक पहले अखाद्य फसल बताकर मंजूरी दे दी गई। जबकि उसके बिनौला से निकला तेल खाया जाता है। इसी तरह घरेलू खपत के लिए जीएम आधारित कई तरह के खाद्य तेलों का आयात धड़ल्ले से हो रहा है। जीएम टेक्नोलॉजी का विरोध करने वालों में ज्यादातर आंदोलनकारी हैं, जिनमें वाम व दक्षिण पंथी दोनों है।
जीएम टेक्नोलॉजी वाली फसलों से होने वाले नुकसान की आशंका का आंकलन करने और जीएम फसलों को मंजूरी देने के बाबत स्पष्ट नीति होनी चाहिए। जीएम फसलें अब वैश्विक वास्तविकता बन चुकी हैं। भविष्य की वैश्विक पौष्टिक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जीएम फसलों के अनुसंधान व विकास को लगातार समर्थन कर रहा है। सैकड़ों बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक इस क्षेत्र में जुटे हुए हैं।
नीतिगत सुस्ती के कारण अनिश्चितता
लेकिन नीतिगत सुस्ती अथवा अनदेखी के चलते पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक अनिश्चितता के शिकार हो गये हैं। उन्हें इस क्षेत्र में अपना भविष्य अंधकारमय दिखने लगा है। बायो सुरक्षा को लेकर जबर्दस्त हंगामा खड़ा किया गया है, लेकिन इस क्षेत्र के वैज्ञानिकों के बजाय आंदोलन करने वालों ने विवाद खड़ा किया है। इसमें वामपंथी व दक्षिण पंथी दोनों शामिल हैं। दरअसल, कृषि क्षेत्र में जीएम टेक्नोलॉजी के महत्व को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द बायो सेफ्टी रेगुलेटर अथारिटी आफ इंडिया की स्थापना करनी होगी। इसके साथ ही वैज्ञानिकों को स्पष्ट संदेश देने की जरूरत है कि इस देश में जीएम टेक्नोलॉजी की जरूरी है।
इसके लिए विधेयक को तैयार की प्रक्रिया तेज है, जिसे संसद की मंजूरी की दरकार है। सरकार का यह कदम भारतीय कृषि को जहां नई ऊंचाइयां देगा, वहीं जीएम फसलों को जवाब मिल सकता है।