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किधर जाएगी भारत-नेपाल रिश्तों की गाड़ी, पीएम ओली का चीन प्रेम है काफी पुराना

भारत के लिए ओली का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने हाल के दिनों में दक्षिण एशिया में भारतीय वर्चस्व को काफी चुनौती दे दी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 30 Mar 2018 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 07:05 AM (IST)
किधर जाएगी भारत-नेपाल रिश्तों की गाड़ी, पीएम ओली का चीन प्रेम है काफी पुराना
किधर जाएगी भारत-नेपाल रिश्तों की गाड़ी, पीएम ओली का चीन प्रेम है काफी पुराना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों से भारत और नेपाल के रिश्तों में घुल रहा तनाव क्या आगे भी जारी रहेगा? क्या भारत अपने इस अभिन्न पड़ोसी देश को चीन के पाले में जाने से रोक सकेगा? इसके उत्तर अगले हफ्ते मिलने के आसार हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली 06 अप्रैल को भारत के तीन दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। ओली के पीएम बनने के बाद नेपाल ने जिस तरह से चीन के साथ रिश्तों को ज्यादा तरजीह देने और पाकिस्तान के पीएम शाहिद खक्कान अब्बासी को आमंत्रित कर भारत को जो संकेत दिए हैं, उसको लेकर भारतीय कूटनीतिक सर्किल में खासी चिंता थी। लेकिन ओली ने भारत को अपने पहले विदेश दौरे के लिए चयनित कर यह संकेत दिया है कि वह भारत के साथ रिश्तों को लेकर भी गंभीर हैं।

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भारत और नेपाल के विदेश मंत्रालयों ने ओली की नई दिल्ली यात्रा की जानकारी दी। उनके साथ उनके कैबिनेट के कई वरिष्ठ सदस्य, कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी व सचिव और सांसद भी होंगे। नई दिल्ली में उनकी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से भी मुलाकात होगी। इस दौरान ओली पंतनगर, उत्तराखंड की यात्रा भी करेंगे। यात्रा के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों से जुड़े तमाम पहलुओं पर वार्ता होगी।

माना जा रहा है कि नेपाल सरकार की कोशिश होगी कि वह भारत से ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद हासिल करे। ओली की अगुवाई में बनी सरकार ने हाल ही में कई बार यह बयान दिया है कि उनकी मंशा भारत और चीन दोनों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने की है। पिछले दो वर्षों में नेपाल ने भारत की आपत्तियों के बावजूद चीन के साथ कई तरह के समझौते किये हैं। नेपाल ने चीन की कंपनियों को अपने यहां एनर्जी खोज की अनुमति दी है। नेपाल अब इंटरनेट सेवाओं के लिए भी भारत पर निर्भर नहीं रहा, बल्कि चीन की मदद मिलने लगी है। चीन की वन बेल्ट-वन रोड (ओबोर) परियोजना में भी नेपाल शामिल है और इसके लिए दोनो के बीच समझौते भी हुए हैं। भारत की संवेदनाओं को नजरअंदाज कर नेपाल की नई सरकार ने पिछले दिनों ही पाकिस्तान के पीएम अब्बासी को आमंत्रित किया था। ओली को पहले से ही भारत विरोधी खेमे का माना जाता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय पक्ष उनका समर्थन हासिल करने के लिए क्या करती है।

भारत के लिए ओली का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन ने हाल के दिनों में दक्षिण एशिया में भारतीय वर्चस्व को काफी चुनौती दे दी है। श्रीलंका और मालदीव की सरकारों ने अब भारत और चीन दोनो को एक ही तराजू में तौलना शुरू कर दिया है। कुछ समय पहले तक इन देशों के लिए 'इंडिया फ‌र्स्ट' की नीति होती थी। लेकिन नेपाल के नए पीएम ओली का चीन प्रेम काफी पुराना है। जाहिर है कि भारतीय कूटनीतिज्ञों के सामने कड़ी चुनौती है।


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