Move to Jagran APP

कडवाहट के बाद भारत और नेपाल फिर लिख रहे मजबूत संबंधों की कहानी

नेपाल की नदियों में बिजली उत्पादन की इतनी अपार क्षमता है कि उससे न केवल नेपाल धनधान्य हो जाएगा, बल्कि उससे लगे भारत के कई राज्यों का भी कायाकल्प हो जाएगा

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 11:51 AM (IST)
कडवाहट के बाद भारत और नेपाल फिर लिख रहे मजबूत संबंधों की कहानी
कडवाहट के बाद भारत और नेपाल फिर लिख रहे मजबूत संबंधों की कहानी

नई दिल्ली [गौरीशंकर राजहंस]।अभी-अभी नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत का दौरा किया। कई दिनों तक भारत में रहकर जब वे स्वदेश लौटे तब उन्होंने भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इस बात की घोषणा की कि भारत से संबंध पहले की तरह ही मधुर रहेंगे। उनके प्रवास के दौरान अनेक विकास योजनाओं की घोषणा भारत में की गई थी और भारत सरकार ने उन्हें विश्वास दिलाया कि भारत हर तरह से नेपाल की समृद्धि के लिए भरपूर प्रयास करेगा। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के भारत दौरे के पहले यह आशंका व्यक्त की गई थी कि शायद उनका रुख भारत के प्रति बहुत मित्रवत नहीं रहेगा, परंतु यह आशंका निमरूल निकली। भारत ने अत्यंत ही गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और प्रधानमंत्री ओली ने उतनी ही गर्मजोशी से इस सम्मान की प्रशंसा की। हाल में नेपाल में संपन्न हुए आम चुनाव में साम्यवादी दलों का वर्चस्व रहा।

loksabha election banner

ओली की पार्टी सीपीएम और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी सीपीएएन के बीच चुनाव के ठीक पहले गठबंधन हुआ था। दोनों पार्टियों के बीच यह तय हुआ था कि ओली तीन वर्षो तक देश के प्रधानमंत्री रहेंगे उसके बाद दो वर्षो तक प्रचंड नेपाल के प्रधानमंत्री होंगे। लंबे समय तक नेपाल का इतिहास रक्तरंजित रहा है। नेपाल की तीन करोड़ जनता ने वर्षो तक साम्यवादियों की गुरिल्ला लड़ाई को भुगता है जिसमें लगभग 18 हजार निदरेष नागरिक मारे गए थे। यही नहीं अपने पागलपन में एक राजकुमार ने मशीनगन से पूरे शाही खानदान को मौत के घाट उतार दिया था। उसके बाद देश में जो भारी उथल-पुथल हुई उसके कारण पिछले 250 वर्षो से चली आ रही राजशाही समाप्त हो गई और माओवादी आंदोलनकारियों ने शासन पर कब्जा कर लिया। अनेक वर्षो के अथक प्रयास के बाद नेपाल का नया संविधान लागू हुआ है।

इस संविधान के अनुसार देश की सरकार के खिलाफ संसद में दो वर्षो तक कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। इसका यह अर्थ है कि ओली का यह मौजूदा कार्यकाल कम से कम दो वर्षो तक सुरक्षित हैं। जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार संभाला था तब उन्होंने नेपाल से घनिष्ठ संबंध स्थापित करने का पूरा प्रयास किया। शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद 2014 में उन्होंने नेपाल का दौरा किया और पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की। तब लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दोस्ताना रुख का नेपाल की जनता पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं जब नेपाल में 2015 में भयानक भूकंप आया जिसमें तकरीबन 9 हजार लोगों की जान चली गई तो सबसे पहले नरेंद्र मोदी की सरकार ने वहां भरपूर राहत सामग्री भेजी और लोगों के पुनर्वास के लिए जी जान से प्रयास किए।

आज भारत की सैकड़ों योजनाएं नेपाल में चल रही हैं जिनमें हजारों नेपाली नागरिकों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अतिरिक्त हर वर्ष लाखों नेपाली नागरिक बिना रोकटोक के हर वर्ष भारत आकर कोई न कोई काम करते हैं और यहां कमाया हुआ धन अपने परिवार के लोगों को भेजते हैं। नेपाल और भारत के संबंध सदियों से दूध-पानी की तरह मिले हुए हैं। दोनों देशों के बीच करीब दो हजार किलोमीटर लंबी खुली सीमा है जिससे हजारों लोग प्रतिवर्ष नेपाल से भारत और भारत से नेपाल बिना रोकटोक आते-जाते हैं। किसी को कोई पासपोर्ट या वीजा लेने की आवश्यकता नहीं होती है। यही नहीं, दोनों देशों के नागरिकों के बीच सदियों से शादी-विवाह के संबंध होते रहे हैं। कभी भी भारत ने नेपाल के नागरिकों को अपने से अलग नहीं माना।

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के भारत प्रवास के दौरान एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ जिसके मुताबिक भारत की सीमा रक्सौल से काठमांडू तक पेट्रोलियम पदार्थो की आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने की योजना बनाई गई। साथ ही यह भी तय हुआ कि रक्सौल से काठमांडू तक रेलवे लाइन भी बिछाई जाएगी। दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ कि देर-सवेर काठमांडू से नई दिल्ली तक रेल चलेगी और भारत नेपाल को उसके सामान के आयात निर्यात में भरपूर मदद करेगा। हाल में चीन ने भी नेपाल के साथ समझौता करके अनेक रेल लाइनों को बिछाने की योजना बनाई है। इसमें एक महत्वपूर्ण योजना काठमांडू से लुंबिनी तक की है। लुंबिनी में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और पर्यटन की दृष्टि से वह बौद्धों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। चीन ने लुंबिनी में अनेक पांच सितारा होटल भी बना दिए हैं। चीन एक साम्यवादी देश है।

वह किसी धर्म को नहीं मानता है, लेकिन जिस तरह नेपाल की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करके उसने लुंबिनी का विकास किया है वह भारत के लिए अत्यंत ही चिंता की बात है। नेपाल में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है। वहां की नदियों में बिजली उत्पादन की इतनी क्षमता है कि उससे न केवल नेपाल धनधान्य हो जाएगा, बल्कि नेपाल से लगे भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों का भी कायाकल्प हो जाएगा जिनकी ऊर्जा जरूरतें इससे काफी हद तक पूरी हो जाएंगी। समय आ गया है कि नेपाल के साथ एक स्थाई समझौता हो जाए जिससे नेपाल से निकलने वाली नदियों को बांधकर भरपूर बिजली का उत्पादन किया जा सके। इस पर दोनों देशों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

नेपाल से निकलने वाली नदियों से प्रतिवर्ष बिहार और उत्तर प्रदेश में भयानक बाढ़ आ जाती है। उत्तर बिहार के लोग तो प्रतिवर्ष इस प्रलयंकारी बाढ़ के कारण तबाह हो जाते हैं और अच्छे संपन्न लोग भी मजदूर बनकर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा चले जाते हैं। समय आ गया है जब इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए, क्योंकि इन नदियों को बांधने से कल्याण केवल भारत का ही नहीं होगा नेपाल भी इससे पूरी तरह लाभान्वित होगा। अब जब प्रधानमंत्री ओली ने दोनों के आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से मजबूत करने का वायदा किया है तो भारत के लिए भी उचित होगा कि वह इस दिशा में मजबूत कदम उठाए।

[पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.