मुश्किल में लालू का कुनबाः मीसा के देवर के खिलाफ जारी नोटिस पर रोक की मांग HC से खारिज
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल अनुराग अहलूवालिया ने मामले में कोई भी अंतरिम राहत दिए जाने का विरोध किया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बेनामी संपत्ति कानून के तहत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) मुखिया लालू प्रसाद यादव की बेटी व राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के देवर नीलेश कुमार के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस व प्रोविजनल अटैचमेंट आर्डर पर रोक लगाने की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने यह भी कहा कि कारण बताओ नोटिस व प्रोविजनल अटैचमेंट आर्डर के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका का निपटारा होने तक बेनामी संपत्ति उन्मूलन यूनिट-1 (बीपीयू) द्वारा दिया गया अंतिम निर्णय निष्प्रभावी रहेगा।
पीठ ने याचिका पर वित्त मंत्रालय और बीपीयू अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल अनुराग अहलूवालिया ने मामले में कोई भी अंतरिम राहत दिए जाने का विरोध किया।
याचिका के अनुसार, बीपीयू द्वारा 24 जुलाई 2018 को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया था कि केएचके होल्डिंग कंपनी द्वारा खरीदी गई सैनिक विहार स्थित संपत्ति में नीलेश कुमार बेनामीदार थे। कंपनी में मीसा भारती के पति शैलेश का हिस्सा है और नीलेश कुमार ने अपने भाई शैलेश को कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए 2.05 करोड़ रुपये दिए थे।
बीपीयू ने नीलेश से पूछा है कि सवालों के घेरे में आई संपत्ति को क्यों न बेनामी संपत्ति के तौर पर देखा जाए। बीपीयू द्वारा 25 जुलाई को जारी किए गए प्रोविजनल अटैचमेंट आर्डर में भी नीलेश कुमार को बेनामीदार बताया गया है।
अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी के माध्यम से दायर की गई याचिका में नीलेश कुमार ने वर्ष 2014 में बैंक के माध्यम से अपने भाई को कोई भी रकम देने से इन्कार किया। उन्होंने दलील दी कि 2.05 करोड़ रुपये का हिसाब उन्होंने दे दिया है और इसकी जांच पटना आयकर विभाग कर चुकी है। उन्होंने कहा कि उक्त राशि बकाया लोन का भुगतान थी। नीलेश कुमार ने कारण बताओ नोटिस और प्रोविजनल अटैचमेंट आर्डर को रद करने की हाई कोर्ट से मांग की।