वरिष्ठ स्तंभकार, इतिहासकार और संघ विचारक देवेंद्र स्वरूप का निधन
जाने माने इतिहासकार, वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और संघ विचारक देवेंद्र स्वरूप का सोमवार शाम निधन हो गया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जाने माने इतिहासकार, वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और संघ विचारक देवेंद्र स्वरूप का सोमवार शाम निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। वह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटीलेटर) पर रखा गया था, जहां सोमवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। देवेंद्र स्वरूप ने अपने जीवनकाल में ही देहदान की घोषणा की थी, इसलिए मंगलवार को सहयोग अपार्टमेंट, मयूर विहार फेज 1 में उनके अंतिम दर्शन के बाद उनका पार्थिव शरीर चिकित्सकीय शोध के लिए दान कर दिया जाएगा।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कांठ कस्बे में 30 मार्च, 1926 को हुआ था। उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का चलता-फिरता इन्साइक्लोपीडिया कहा जाता था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पांचजन्य का संपादन भी किया।
उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि स्वरूप ने छात्र जीवन में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था। वह राजधानी के पीजी डीएवी कालेज के इतिहास विभाग में रीडर के पद से सेवानिवृत्त हुए।उन्होंने अनेक विषयों पर डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी थीं। स्वरूप अधिकतर इतिहास पर ही लेखन करते थे।‘ जातिविहीन समाज का सपना’, ‘अयोध्या का सच ‘‘यह संविधान हमारा या अंग्रेजों का’’ आदि उनकी कई पुस्तकें काफी चर्चित रहीं। वह दीनदयाल शोध संस्थान के निदेशक एवं उपाध्यक्ष भी थे।