सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद पैतृक गांव के लोगों ने कहा- गुर्जर करेंगे इसका विरोध
वैदपुरा के लोगों ने उत्तर प्रदेश में सपा बसपा और भाजपा की लहर में भी राजेश पायलट और अब सचिन के चलते कांग्रेस का साथ दिया। लेकिन अब विरोध शुरू हो गया है।
ग्रेटर नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। सचिन पायलट को राजस्थान के उप मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद उनके पैतृक गांव वैदपुरा में भी कांग्रेस का भारी विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों ने पार्टी और गांधी परिवार के खिलाफ राेष जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें एक सोची-समझी साजिश के तहत हटाया गया है। कांग्रेस को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व महाराष्ट्र के गुर्जर भी कांग्रेस का विरोध करेंगे।
गौतमबुद्ध नगर के वैदपुरा गांव है पैतृक गांव
पायलट उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के वैदपुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राजेश पायलट साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। राजेश पायलट पढ़ाई के साथ-साथ वैदपुरा से दिल्ली दूध बेचने भी जाते थे। एयरफोर्स में पायलट की नौकरी के बाद उन्होंने कांग्रेस से राजनीति की शुरूआत की थी। हालांकि, उन्होंने अपनी कर्मभूमि राजस्थान को बनाया, लेकिन अपने पैतृक गांव से कभी नाता नहीं तोड़ा। सचिन भी उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस को मिलते रहे हैं भारी मत
वैदपुरा के लोगों ने उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और भाजपा की लहर में भी राजेश पायलट और अब सचिन के चलते कांग्रेस का साथ दिया। लोकसभा चुनाव हो अथवा विधान सभा सभी में कांग्रेस को गांव में भारी मत मिलते रहे हैं। राजेश पायलट का ही प्रभाव था कि गांव के रहने वाले सुरेंद्र गोयल कांग्रेस के टिकट पर एक बार गाजियाबाद से सांसद भी चुने गए थे।
गांव-गांव जाकर बहाया था पसीना
उनके चेचरे भाई महिपाल सिंह विधुड़ी व गजराज सिंह नागर ने कहा कि सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस के फिर से सत्ता में लाने के लिए के जमीन तैयार की थी। गांव-गांव जाकर पसीना बहाया, वे जेल भी गए, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया। अब उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से हटाकर समूचे गुर्जर समाज का अपमान किया है। इसका खामियाजा कई प्रदेशों में भुगतना पड़ेगा। बलवीर सिंह ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि गांधी परिवार नहीं चाहता कि कांग्रेस में कोई और युवा नेता उभरकर आए। इससे राहुल की राह कठिन हो सकती है, इसलिए युवा नेताओं को सोची समझी रणनीति के चलते किनारे किया जा रहा है। कांग्रेस को इससे भारी नुकसान होगा।