केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- फेसबुक पर कार्यवाही दिल्ली विधानसभा समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति की फेसबुक पर कार्यवाही अधिकार क्षेत्र के बाहर है क्योंकि यह मुद्दा कानून और व्यवस्था से संबंधित है। दिल्ली विधानसभा की समिति ने फेसबुक इंडिया के प्रबंध निदेशक को तलब किया था।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति की फेसबुक पर कार्यवाही 'अधिकार क्षेत्र के बाहर' है क्योंकि यह मुद्दा कानून और व्यवस्था से संबंधित है। दिल्ली विधानसभा की समिति ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के सिलसिले में फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजित मोहन को एक गवाह के रूप में पेश होने के लिए समन जारी किया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एसके कौल और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ के समक्ष कहा, 'लोक व्यवस्था और पुलिस दिल्ली विधानसभा के तहत नहीं है और इसलिए यह कार्यवाही बिना अधिकार क्षेत्र के है।' शीर्ष अदालत ने 23 सितंबर को अपने आदेश में विधानसभा समिति को मोहन के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए थे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो दिसंबर तय की है।
समिति द्वारा जारी समन के खिलाफ पीठ मोहन और फेसबुक द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मोहन, फेसबुक इंडिया ऑनलाइन सíवसेज प्राइवेट लिमिटेड और फेसबुक इंक द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि समिति को याचिकाकर्ताओं को उसके समक्ष पेश होने के लिए समन जारी करने या फिर उसके समक्ष पेश नहीं होने पर विशेषाधिकार हनन के लिए जिम्मेदार ठहराने का अधिकार नहीं है।
याचिका में विधानसभा समिति द्वारा 10 और 18 सितंबर को जारी नोटिसों को चुनौती दी गई है। यह समिति इस साल फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों के संबंध में नफरत फैलाने वाले भाषणों के मामले में सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म की भूमिका की जांच कर रही है। दिल्ली विधानसभा ने हाल में शीर्ष अदालत को बताया था कि मोहन के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
सुनवाई के दौरान गुरुवार को दिल्ली विधानसभा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि मोहन को केवल गवाह के रूप में बुलाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने समिति के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया और कहा कि मोहन उसके समक्ष पेश होने के इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा कि पहली नजर में यह मामला दिल्ली विधानसभा के अधिकार क्षेत्र को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे, यदि कोई हों तो 31 अक्टूबर तक दायर किए जाने चाहिए।
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