शरद पवार ने लोकसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान, मैदान में नहीं उतरेंगे बेटा-भतीजा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान। कहा- भतीजे और परिवार के अन्य सदस्य इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पुणे, एएनआइ। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। पवार ने मंगलवार को यह ऐलान किया वे आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, हालांकि उनके भतीजे और परिवार के अन्य सदस्य इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
बेटे और भतीजे नहीं लड़ेंगे चुनाव
मीडिया से बातचीत के दौरान मंगलवार को पवार ने कहा, 'अजीव पवार, पार्थ पवार और रोहित पवार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा।' वशंवाद की राजनीति को बढ़ावा देने के सवाल के जवाब में उन्होंने यह बयान दिया।
मैं लड़ूंगा लोकसभा चुनाव : पवार
बता दें कि मौजूदा समय में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट से सांसद हैं, जबकि उनके भतीजे अजीत पवार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य हैं। हालांकि इस बीच पवार के बेटे पार्थ पवार के सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें लगाई जा रही थीं। कहा जा रहा था कि वे मवाल लोकसभा सीट से मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन इन सब अटकलों पर विराम लगाते हुए शरद पवार ने कहा कि वे चुनावी मैदान में उतरेंगे। साथ ही उन्होंने अपने पोते रोहित पवार के चुनाव लड़ने की अफवाहों का भी खंडन किया।
भाजपा-शिवसेना गठबंधन पर कहा
इस दौरान आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा-शिवसेना के बीच हुए गठबंधन पर पवार ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है, यह पहले से तय था। उन्होंने कहा कि जनता उनका भविष्य तय करेगी। पवार बोले, 'पिछले कुछ वक्त से दोनों पार्टियों के बीच तीखी जुबानी जंग और बयानबाजी देखने को मिली थी। अब दोनों एक साथ खड़े हैं और एकता का संदेश दे रहे हैं। महाराष्ट्र की जनता उनकी रणनीति समझ चुकी है। ऐसे में प्रदेश के लोग सोचेंगे और बेहतर कदन उठाएंगे।'
सर्वदलीय बैठक में PM के न रहने पर उठाए सवार
इसके साथ ही पुलवामा आतंकी हमले के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल नहीं होने की पवार ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले को लेकर केंद्र ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। हमें कहा गया था पीएम मोदी इसकी अध्यक्षता करेंगे। जब मैं बैठक में पहुंचा, तो देखा प्रधानमंत्री वहां मौजूद नहीं थे। प्रधानमंत्री को वहां मौजूद होना चाहिए था, लेकिन इसकी बजाय उन्होंने महाराष्ट्र के धुले और यवतमाल में रैलियों को संबोधित करना ज्यादा जरूरी समझा, जहां उन्होंने हमारी आलोचना की।