अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हसन रिजवी बोले, अयोध्या मामले में बड़ा दिल दिखाएं मुस्लिम
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद हसन रिजवी ने कहा कि वह अयोध्या मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रयास करेंगे और सभी पक्षकारों से बातचीत करेंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा कि वह अयोध्या मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रयास करेंगे और इसके तहत सभी पक्षकारों से बातचीत करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष को 'बड़ा दिल' दिखाना चाहिए क्योंकि राम मंदिर हिंदू समाज की आस्था से जुड़ा विषय है। रिजवी ने एक विशेष भेंट में कहा कि मैं अगले कुछ दिनों में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से मिलूंगा। इसके बाद मुस्लिम पक्ष के प्रमुख लोगों से मिलूंगा। समझौते के लिए जल्द बातचीत शुरू करने प्रयास करूंगा। सभी पक्षकारों से बात करूंगा।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। इस देश का हिंदू समाज राम मंदिर में आस्था रखता है। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह लगेगा कि वह जगह मंदिर बनाने के लिए दे देनी चाहिए। अगर मुसलमानों ने बड़ा दिल दिखा दिया तो जो दूरी बन गई है, वह काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि आयोग ने 14 नवंबर की बैठक में मुझे अधिकृत किया कि अगर मैं चाहूं तो अदालत से बाहर अयोध्या मामले का समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रयास कर सकता हूं। मैं यह कोशिश करने जा रहा हूं, क्योंकि अदालत से जो निर्णय आएगा वह किसी एक के पक्ष में होगा। इससे विवाद पैदा होगा। अगर इस मामले का हल अदालत से बाहर कर लिया जाता है, तो इससे देश की गंगा-जमुनी तहजीब मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि कोई नहीं चाहेगा कि अयोध्या में राम मंदिर संघर्ष के जरिये बने। हर कोई चाहता है कि एकजुटता और आपसी सौहार्द के साथ मंदिर का निर्माण हो। अगर आपसी सहमति से राम मंदिर बनता है कि तो देश के लिए यह बहुत बड़ा कदम होगा।
रिजवी ने कहा कि मुस्लिम समाज की तरफ से यह संदेह जताया गया है कि अगर अयोध्या का मामला सुलझ गया तो फिर काशी और मथुरा जैसे मामले खड़े हो जाएंगे। ऐसे में मैं यह प्रयास करूंगा कि अयोध्या मामले का हल होने के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आगे काशी, मथुरा या कोई दूसरा विवाद नहीं खड़ा होगा। इस तरह का आश्वासन मुसलमानों को मिलना चाहिए। अध्यादेश या कानून बनाने के बारे में पूछे जाने पर रिजवी ने कहा कि इस बारे में आयोग कुछ नहीं कह सकता। सरकार देश हित में जो उचित समझेगी, वह कदम उठाएगी।