नायडू ने छात्रों को दी सीख, कहा- मातृभाषा आंख है तो अंग्रेजी चश्मा, घर में मातृभाषा में ही बात करें
लोकनायकों को श्रद्धांजलि देते हुए नायडू ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को कायम रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा संवैधानिक दायित्व भी है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश में जबलपुर और मंडला के एक दिन के दौरे पर आए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जनजातीय कलाकारों को सराहा तो युवा छात्रों को नसीहत भी दी। नायडू ने छात्रों से कहा कि मातृभाषा आंख है तो अंग्रेजी उसका चश्मा। घर में हर वर्ग के युवा मातृभाषा का ही इस्तेमाल करें। यह सीख उन्होंने शनिवार को डुमना स्थित पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अभिकल्पन एवं विनिर्माण संस्थान (ट्रिपल आइटीडीएम) में आयोजित प्रोजेक्ट्स अवलोकन कार्यक्रम में छात्रों को दी।
नायडू ने कहा- तेजी से बढ़ती तकनीक के साथ चुनौतियां भी होतीं पैदा
उन्होंने कहा कि विश्व में तकनीक तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ कई चुनौतियां भी उत्पन्न हो रही हैं। जिस तरह से भारत ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र काम किया है, उससे एक बात पक्की हो गई है कि देश इस क्षेत्र में भी अव्वल हो रहा है।
नायडू ने किया आदिवासी महोत्सव का उद्घाटन
इससे पूर्व नायडू मंडला के रामनगर में आयोजित दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का उद्घाटन करने पहुंचे। आदिवासी महोत्सव में जनजातीय संस्कृति की अनूठी झलक दिखाई दी। शनिवार को राजस्थान के जनजातीय कलाकारों ने चकरी, चरी व घूमर नृत्य प्रस्तुत किए। मोहगांव के कलाकारों ने शैला, करमा व गौंड़ी, बिछिया के कलाकारों ने नगाड़े की थाप पर बैगा नृत्य तथा निवास के कलाकारों ने रीना व करमा पर नृत्य किया।
आदिवासी महोत्सव में जनजातीय संस्कृति की अनूठी झलक
बालाघाट से आए आदिवासी नर्तक दल ने गौंडी परंपरागत नृत्य शैली की प्रस्तुति दी। चाढ़ा डिंडौरी के बैगानी लोक नृत्य दल ने बैगा लोक नृत्य, मेढ़ाखार डिंडौरी के कलाकारों ने गुदुम शैली, धुलिया नृत्य दल डिंडौरी ने गुदुम बाजा नृत्य, मेढ़ाखार डिंडौरी के कलाकारों ने करमा शैला लोक नृत्य, आदिवासी लोक नर्तक दल डिंडौरी ने बोना लोक नृत्य, लालपुर डिंडौरी के कलाकारों ने शैला नृत्य की प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों में लोक नृत्य व लोक संगीत की झलक देखने को मिली।
आदिवासी संस्कृति को कायम रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा संवैधानिक दायित्व
लोकनायकों को श्रद्धांजलि देते हुए नायडू ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को कायम रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा संवैधानिक दायित्व भी है। भारत में अब तक करीब 250 भाषाएं विलुप्त हो गई हैं, जिनमें अधिकांश भाषा जनजातीय हैं। हमें विदेशी मानसिकता को छोड़कर अपनी मातृभाषा पर ध्यान देना चाहिए। इसे कभी न छोड़ें। विकास के लिए शांति जरूरी है। सरकार माओवाद को रोकने में सफल रही है।
उपराष्ट्रपति ने गोंडवाना साम्राज्य के शहीद राजाओं को दी श्रद्धांजलि
उपराष्ट्रपति ने गोंडवाना साम्राज्य के शहीद राजाओं को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय जनजातीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, राज्यसभा सदस्य संपतिया उईके आदि उपस्थित रहे। आदिवासी महोत्सव के अंतिम दिन रविवार को जनजातीय विषयों पर संगोष्ठी आयोजित होगी जिसमें विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा।