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MP Poltical Crisis: भाजपा के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस, सत्तापक्ष में हड़कंप

कमलनाथ सरकार ऊपर से भले ही अपने साथ विधायकों का बहुमत होने को लेकर आश्वस्त दिखने की कोशिश कर रही है लेकिन अंदरखाने उसे सत्ता खोने का डर सता रहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 08:24 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 08:35 PM (IST)
MP Poltical Crisis: भाजपा के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस, सत्तापक्ष में हड़कंप
MP Poltical Crisis: भाजपा के चक्रव्यूह में फंसी कांग्रेस, सत्तापक्ष में हड़कंप

आनन्द राय. भोपाल। भाजपा के चक्रव्यूह में घिरी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ऊपर से भले ही अपने साथ विधायकों का बहुमत होने को लेकर आश्वस्त दिखने की कोशिश कर रही है, लेकिन अंदरखाने उसे सत्ता खोने का डर सता रहा है। सरकार चौतरफा अपने बचाव का रास्ता तलाश रही है, जबकि भाजपा आक्रामक मुद्रा में आ गई है।

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राज्यपाल के समक्ष 106 भाजपा विधायकों की परेड 

सोमवार को बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद कमलनाथ सरकार कोरोना के बहाने 26 मार्च तक सदन स्थगित कर अखाड़े से बाहर हो गई, लेकिन इस पेशबंदी से पार पाने के लिए भाजपा ने राज्यपाल के समक्ष अपने 106 विधायकों की परेड करवाकर अपना दमखम साबित कर दिया। असर यह हुआ कि राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ को दोबारा पत्र लिखकर मंगलवार को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। इससे सत्त्‍‌तापक्ष में हड़कंप मच गया है।

कोरोना का हवाला देकर विधानसभा स्थगित

सोमवार को बजट सत्र की शुरुआत हुई तो यह अनुमान पहले से था कि सरकार अभिभाषण के बाद सदन स्थगित कर देगी और राज्यपाल की अपेक्षा के अनुरूप फ्लोर टेस्ट नहीं करवाएगी, हुआ भी यही। संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह ने कोरोना वायरस के चलते विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित करने के लिए प्रस्ताव रखा। हल्ला-हंगामा हुआ और विधानसभा स्थगित कर दी गई। दरअसल, बचने का यह सबसे आसान तरीका था और इसे सत्ता पक्ष ने कोरोना पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की पहल का हवाला देकर आजमाया भी पर सरकार गिराने की मजबूत घेराबंदी कर चुकी भाजपा में उबाल आना स्वाभाविक था।

छह विधायकों का इस्तीफा मंजूर तो 16 का क्यों नहीं?

विधानसभा अध्यक्ष ने 14 मार्च को छह मंत्रियों की विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा मंजूर कर लिया, लेकिन बाकी 16 सदस्यों के लिए अलग मापदंड अपनाकर भी भाजपा को घेराबंदी का मौका दे दिया है। उनके इस निर्णय के आधार पर वह सिंधिया समर्थक शेष 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने का दबाव बना रही है।

भाजपा ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया

तमाम बिंदुओं पर भाजपा ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटा कर अपने चक्रव्यूह को और पुख्ता कर दिया है। इधर, अपने विधायकों की एकजुटता दिखाकर भाजपा ने ताकत दिखाई। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और पूर्व मंत्री नरोत्त्‍‌तम मिश्रा ने कहा कि कोरोना का बहाना लेकर अल्पमत में आई सरकार फ्लोर टेस्ट से बचना चाहती है। कांग्रेस सरकार ने भी राज्यपाल की भूमिका को लेकर कोर्ट में जाने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और मंत्री दिल्ली रवाना हो गए हैं।

कमलनाथ के पत्र से राज्यपाल नाराज

कमलनाथ ने तो राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट कराए जाने के पहले पत्र पर पेशबंदी करते हुए तमाम नियम और कानून का हवाला देकर राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा कर दी। कमलनाथ के पत्र और उनके शब्दों से भी राज्यपाल नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने साफ कह दिया है कि वह अपने निर्देश का अनुपालन कराकर दिखाएंगे। कांग्रेस में सावधानी इस कदर बरती जा रही है कि सुबह सदन की कार्यवाही स्थगित होते ही सत्ता पक्ष के सभी विधायकों को बसों में बैठाकर सुरक्षित ठौर पर पहुंचा दिया गया।

सिंधिया समर्थकों ने कहा- कमलनाथ सरकार जाना तय

अभी हाल तक कांग्रेस के प्रवक्ता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रबल समर्थक पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि आज हो या कल, जब भी फ्लोर टेस्ट होगा तो कमलनाथ सरकार का जाना तय है, क्योंकि यह अल्पमत में आ गई है। ताजा संर्दभों पर विशेषज्ञ कहते हैं कि राज्यपाल के निर्देशों का पालन करना जरूरी है, लेकिन एक पक्ष इसे बहुत जरूरी नहीं मानता है।

यदि मंगलवार को फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो...

अगर मंगलवार को सरकार ने फ्लोर टेस्ट नहीं कराया और जब 26 मार्च के बाद सदन चलेगा तो दो विधायकों के निधन पर शोक प्रस्ताव आएगा। सरकार पुन: सदन स्थगित कर देगी। बहरहाल, कांग्रेस और भाजपा के बीच छिड़े इस सत्ता संग्राम में जहां एक तरफ राज्यपाल की अहम भूमिका हो गई है। वहीं सरकार की कोशिश होगी कि गेंद विधानसभा अध्यक्ष के ही पाले में रहे। 


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