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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से किया इन्कार, बताई वजह

राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि 16 महीने में शिवराज सिंह चौहान ने विषम परिस्थतियों में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का उल्लेखनीय कार्य किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 08:49 PM (IST)
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से किया इन्कार, बताई वजह
CM शिवराज सिंह चौहान राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया

ग्वालियर, राज्य ब्यूरो। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि 16 महीने में शिवराज सिंह चौहान ने विषम परिस्थतियों में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का उल्लेखनीय कार्य किया है। सरकार के सही दिशा में काम करने के कारण दूसरी लहर पर काबू पाया जा सका है। लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।

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सिंधिया बोले, जितिन ने मेरे साथ छोटे भाई की तरह कार्य किया है

पिछले कुछ दिन तक चले राजनीतिक कयास और एक दिन की भोपाल यात्रा के बाद गुरुवार को ग्वालियर पहुंचे सिंधिया मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने पूर्व सांसद जितिन प्रसाद से संबंधित सवाल पर कहा, उनका कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय उचित है। जितिन ने मेरे साथ छोटे भाई की तरह कार्य किया है, उनसे मेरे पारिवारिक संबंध हैं। राजनीतिक संबंध कुछ समय के लिए टूटे थे, जो अब फिर जुड़ गए हैं।

वैक्सीन सबसे बड़ा हथियार

सिंधिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण पर हमने काबू पाया है, अभी जीत हासिल नहीं की है। संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दी हैं। इसके खिलाफ हमारे पास सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन है, इसलिए टीकाकरण बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

ज्ञात हो कि ज्योतिरादित्य की तरह जितिन प्रसाद के पिता भी बड़े कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री रहे थे। जितिन प्रसाद औऱ ज्योतिरादित्य भी मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। जितिन प्रसाद 2004 और 2009 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से सांसद रहे थे। ज्ञात हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही ऐसी अटकलें जोरों पर थीं कि जितिन प्रसाद भाजपा में जा सकते हैं। कांग्रेस हाई कमान के हस्तक्षेप के कारण जितिन प्रसाद ने फैसला वापस ले लिया था।


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