MP Politics: राज्यसभा चुनाव आगे बढ़ने से दिग्विजय सिंह की चिंता बढ़ी
मप्र में राज्यसभा चुनाव में ज्यादा वक्त मिलने से पार्टी नेताओं के लामबंद होने की आशंका भी है इससे दोनों नेताओं की चिंता साफ झलकने लगी है।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मप्र की रिक्त हो रही तीन राज्यसभा सीटों के चुनाव स्थगित हो गए हैं। इससे कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों-दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की चिंता बढ़ गई है। इनकी चिंता की वजह पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा कांग्रेस हाईकमान को अजा-जजा वोटों को लुभाने फूल सिंह बरैया को पहली वरीयता देते हुए राज्यसभा भेजने की कूटनीति अपनाया जाना है।
अब चुनाव में ज्यादा वक्त मिलने से पार्टी नेताओं के लामबंद होने की आशंका भी है, इससे दोनों नेताओं की चिंता साफ झलकने लगी है। मप्र से राज्यसभा के तीन सदस्य कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, भाजपा के प्रभात झा तथा सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल नौ अप्रैल को पूरा होने जा रहा है। मार्च के पहले कांग्रेस के पक्ष में जो स्थितियां थीं, अब वे भाजपा के पक्ष में आ चुकी हैं क्योंकि विधानसभा में प्रभावी सदस्य संख्या दो सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को जिताने वाली हो गई है।
पहले यह गणित उल्टा था। कांग्रेस को राज्यसभा की दो सीटें मिलना थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद उनके समर्थकों तथा अन्य विधायकों के विस से इस्तीफे के कारण यह स्थिति बनी है।
दिग्विजय सिंह विफल रहे
दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के 10 विधायकों को वापस लाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन जब वे इसमें कामयाब नहीं हुए तो राज्यसभा जाने की उनकी राह मुश्किल हो गई। हालांकि सिंधिया की जगह उन्होंने फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनवाकर अपनी सीट को पक्का कर लिया। दिग्विजय सिंह को पार्टी में बढ़ रहे उनके विरोध का अंदाज नहीं था।
गत दिनों गुपचुप ढंग से कुछ दिग्गजों ने हाईकमान को उपचुनाव में अजा-जजा वोट के गणित का फायदा बताते हुए बरैया को राज्यसभा में भेजने पर जोर देते हुए कूटनीतिक दांव चला। इस बीच चुनाव स्थगित हो जाने से दिग्विजय विरोधियों को और समय मिल गया है। वे अपनी रणनीति के तहत हाईकमान तक दिग्विजय विरोधी बातें पहुंचा रहे हैं। इस बीच पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह से भी उन्होंने हाईकमान को पत्र लिखवा दिया है। इसमें उन्होंने मप्र में सत्ता पलट का ठीकरा दिग्विजय पर फोड़ने का प्रयास किया है।
कांग्रेस को एक सीट ही मिलेगी
आज की स्थिति में मप्र विधानसभा की प्रभावी सदस्य संख्या 206 है। भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं। जो चारों निर्दलीय मार्च के पहले कांग्रेस के साथ नजर आ रहे थे, उनमें से दो ढुलमुल हैं। दो कांग्रेस के साथ हैं। वहीं, बसपा व सपा भी भाजपा सरकार के साथ दिखाई दे रही हैं। विस की प्रभावी संख्या के हिसाब से हर राज्यसभा प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 52 वोट चाहिए।
इस गणित में भाजपा के पास अपने दम पर ही दो प्रत्याशियों को जीता ले जाने की क्षमता है। वहीं कांग्रेस को एक ही सीट मिलेगी। इसके लिए कांग्रेस के 52 विधायकों को दिग्विजय व बरैया में से किसी एक को चुनना है। हालांकि दिग्विजय पहली वरीयता पर ही रहने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।
लोग कह रहे हैं फायदा होगा
'सुनने में आया है कि कांग्रेस में ही कुछ लोगों ने कहा है कि मेरे राज्यसभा जाने से कांग्रेस को मप्र में होने वाले उपचुनावों में अजा-जजा वोटों का फायदा होगा।
-फूलसिंह बरैया, राज्यसभा प्रत्याशी, मप्र कांग्रेस