Move to Jagran APP

MP Politcs : मध्‍य प्रदेश में अंदरूनी लड़ाई तो दोनों ओर पर ज्यादा पिस रही कांग्रेस

हर दिन कांग्रेस को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वह एक झटके से उबरती नहीं है और दूसरा लग जाता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:34 PM (IST)
MP Politcs : मध्‍य प्रदेश में अंदरूनी लड़ाई तो दोनों ओर पर ज्यादा पिस रही कांग्रेस
MP Politcs : मध्‍य प्रदेश में अंदरूनी लड़ाई तो दोनों ओर पर ज्यादा पिस रही कांग्रेस

आनंद राय, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 27 सीटों पर निकट भविष्य में उपचुनाव होने से अवसर हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में अंदरूनी लड़ाई चल रही है, लेकिन लगातार झटका खाने के बाद भी कांग्रेस कुछ ज्यादा ही पिस रही है। हर दिन कांग्रेस को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वह एक झटके से उबरती नहीं है और दूसरा लग जाता है। विधायकों के पार्टी छोड़ भाजपा में जाने के बाद अब युवा नेतृत्व का मुद्दा उठ गया है। कांग्रेस के लिए मुश्किल यह है कि दिग्गज नेताओं के स्वजन ही असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं। 

loksabha election banner

लक्ष्मण सिंह ने पार्टी को आईना दिखाया

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज और चाचौड़ा से विधायक लक्ष्मण सिंह मौके-बे-मौके पार्टी को आईना दिखाते रहते हैं। चुनाव में तांत्रिक बाबाओं की मदद लेने पर नेतृत्व को घेरते हुए उन्होंने सवाल उठा दिया कि कांग्रेस की विचारधारा कहां लुप्त हो गई। वह पार्टी में सेवादल की जगह 'मेवादल' जैसा संगीन आरोप भी लगा चुके हैं। 

नकुल नाथ के दावे से अचरज

जनता को अचरज तब हुआ जब पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पुत्र व सांसद नकुल नाथ ने युवाओं का नेतृत्व खुद करने का दावा कर दिया। वैसे तो दिग्विजय के पुत्र जयव‌र्द्घन सिंह के समर्थक भी उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर चुके थे लेकिन, जयव‌र्द्घन ने कभी पार्टी की सीमा नहीं लांघी। मामला तब और आगे बढ़ गया जब प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के समर्थकों ने दिग्विजय सिंह और कमल नाथ को लक्ष्य करते हुए नारा उछाल दिया, 'न राजा न व्यापारी, अबकी बार जीतू पटवारी।' इस तरह कांग्रेस की अंदरनी गुटबंदी सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक दिखने लगी है।

इधर, भाजपा लगातार दावा कर रही है कि कांग्रेस के कई और विधायक टूट कर भाजपा में शामिल होंगे। दरअसल, सरकार रहने या गिरने के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह कभी सार्वजनिक हुए बिना नहीं रहा। सरकार के दिनों में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की लड़ाई सतह पर थी। नतीजतन सिंधिया की अगुवाई में 22 विधायक टूट गए। सरकार गिरने के बाद लगा कि कांग्रेस संभलेगी लेकिन तबसे टूटने का सिलसिला थमा ही नहीं। तीन और विधायक विस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। 

भाजपा में भी बढ़ा असंतोष

भाजपा में संगठन और नेतृत्व को लेकर कोई लड़ाई तो नहीं चल रही है लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार और सिंधिया समर्थकों को ज्यादा तरजीह मिलने से असंतोष बढ़ा है। मंत्री पद के प्रबल दावेदार विधायक अजय विश्नोई पहले सिंधिया पर ही तंज कसते थे लेकिन अब वह मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को निशाना बनाने का मौका नहीं चूक रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र और पूर्व मंत्री दीपक जोशी तेवर दिखा चुके हैं।

वहीं पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के आवास पर भी असंतुष्ट एकजुट हुए, जिनमें दीपक विश्नोई और पूर्व पीएम स्व. अटलजी के भांजे व पूर्व मंत्री अनूप मिश्र भी वीडियो एप से शामिल हुए थे। उनके अलावा मप्र विस में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गौरीशंकर शेजवार समेत कई प्रमुख लोग नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उधर भाजपा छोड़कर पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल, पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ल और पूर्व सांसद प्रेम चंद्र गुड्डू जैसे नेता भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। 

भाजपा परिवार की कंपनी नहीं 

मप्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि भाजपा किसी एक परिवार की लिमिटेड कंपनी नहीं है। 

नागपुरी डंडे से नहीं चलती कांग्रेस 

मप्र कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि 'कांग्रेस का संगठन किसी नागपुरी डंडे से संचालित नहीं होता है। विधायक अपने स्वार्थ में टूट रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.