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MP Politics: मध्‍य प्रदेश भाजपा में कई दिग्‍गजों की लड़ाई, कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का बोलबाला

भाजपा में जहां वर्चस्व की खामोश लड़ाई शुरू हो गई है वहीं मप्र कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एकतरफा बोलबाला हो गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 01:52 AM (IST)
MP Politics: मध्‍य प्रदेश भाजपा में कई दिग्‍गजों की लड़ाई, कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का बोलबाला
MP Politics: मध्‍य प्रदेश भाजपा में कई दिग्‍गजों की लड़ाई, कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का बोलबाला

आनन्द राय. भोपाल। मध्‍य प्रदेश की राजनीति में नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के सियासी समीकरण बदल गए हैं। भाजपा में जहां वर्चस्व की खामोश लड़ाई शुरू हो गई है, वहीं मप्र कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एकतरफा बोलबाला हो गया है।

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राज्य में कांग्रेस में बड़े कद के अकेले नेता दिग्विजय सिंह हैं, जबकि भाजपा में कई शक्ति केंद्र उभर गए हैं। कमल नाथ की सरकार गिरने से पहले ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा के फैसले आरएसएस, पार्टी संगठन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सहमति से हो जाते थे। बाद में परिस्थिति बदल गई। यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर छोटे-छोटे मसलों पर भी निर्णय लेने में देरी हुई। 

नरोत्तम मिश्रा की हैसियत बढ़ी 

कमल नाथ सरकार के पतन से जुड़े सियासी ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की हैसियत अचानक बढ़ गई। इसके पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नजदीकियों ने उन्हें ताकतवर बनाया। 

सिंधिया का दखल बढ़ा 

कमल नाथ सरकार अपदस्थ कराने के अहम किरदार रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी भाजपा में महत्व मिला। कद के मुताबिक उनकी भी एक अहम हैसियत है और सरकार बनवाने का असली श्रेय भी उन्हें ही है। जाहिर है कि अपने अभियान के सहयोगियों को उपकृत कराने में उनका भी हस्तक्षेप बढ़ा।

वीडी शर्मा का चेहरा उभरा 

वर्चस्व के ताने-बाने में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी चेहरा उभरा है। संगठन के मुखिया होने की वजह से उनका भी हस्तक्षेप कई मुद्दों पर दिखा। इस वजह से अफसरों की तैनाती से लेकर कई फैसलों में सरकार की असमंजस की स्थिति दिखी है। 

भाजपा हुई चिंतित 

बदली परिस्थितियों में अब भाजपा चिंतित हो गई है, क्योंकि निकट भविष्य में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की सर्वाधिक 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग में हैं। 

सिंधिया के जाने के बाद दिग्विजय की बढ़ी ताकत 

उधर, कांग्रेस में पहले सिंधिया और दिग्विजय की अलग-अलग पैरवी होती थी। इसी हिसाब से केंद्रीय नेतृत्व को फैसले लेने पड़ते थे। टिकट बंटवारे से लेकर हर महत्वपूर्ण मामलों में दिग्गी-सिंधिया की रार सुनाई पड़ती थी। कभी यह सार्वजनिक हो जाती थी और कभी नेतृत्व के स्तर पर ही निपट जाती थी। अब सिंधिया के जाने के बाद दिग्विजय की ताकत बढ़ी है और उनके फैसले की अहमियत भी। खासतौर से ग्वालियर-चंबल संभाग में अब उनका ही बोलबाला है। 

प्रवक्‍ताओं की प्रतिक्रिया 

मध्‍य प्रदेश भाजपा के मुख्‍य प्रवक्‍ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा में संगठन ही फैसले लेता है। नेता और कार्यकर्ता सभी संगठन के फैसलों के अनुरूप ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। हमारे यहां गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई जैसी कोई बात नहीं है।  

मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्‍ता दुर्गोश शर्मा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का मुखिया होने के नाते सभी फैसले कमल नाथ लेते हैं। उन्होंने उपचुनाव के लिए सर्वे कराकर प्रत्याशियों को चिन्हित कर दिया है। अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व का होगा। 


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