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अटलजी ने खोला था पोखरण परमाणु परीक्षण का राज, कहा- परीक्षण का श्रेय किसी और को

अटलजी ने कहा था-1996 में जब मैं पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहा था तभी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव मेरे पास आए और हाथ में एक कागज थमा दिया। उस पर लिखा था बम तैयार है इसको सिर्फ फोड़ना है पीछे नहीं हटना है।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 06:01 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 10:50 PM (IST)
अटलजी ने खोला था पोखरण परमाणु परीक्षण का राज, कहा- परीक्षण का श्रेय किसी और को
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी

 बलराम सोनी, ग्वालियर। राजनीतिक दलों- राजनेताओं द्वारा उपलब्धियों और योजनाओं को अपना बताकर श्रेय लेने की होड़ कौन नहीं जानता। शुचिता और स्पष्टवादिता राजनीतिक दलों में अब सुनाई और दिखाई नहीं देती लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी इस मामले में हमेशा अपवाद रहे। ग्वालियर के एक आयोजन में उन्होंने मंच से पोखरण में परमाणु बम परीक्षण का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को दिया था। अटलजी की इसी साफगोई के विपक्षी दल भी कायल थे।

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बात 2004 की है। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद अटलजी अपना जन्मदिन मनाने तीन दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर आए थे। 25 दिसंबर को उनका जन्मदिन था और अगले दिन यानी 26 दिसंबर को उन्होंने मध्यभारत हिंदी साहित्य सभा के शताब्दी वर्ष समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने की सहमति दी थी। साहित्य सभा के तत्कालीन महामंत्री कृष्णकांत शर्मा बताते हैं कि भगवत सहाय सभागार में आयोजित इस समारोह में उन्होंने एक ऐसा राज खोला, जिससे सभी चकित रह गए।

अटलजी ने कहा था-1996 में जब मैं पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहा था, तभी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव मेरे पास आए और हाथ में एक कागज थमा दिया। उस पर लिखा था 'बम पूरी तरह तैयार हो चुका है, इसको सिर्फ फोड़ना है, पीछे नहीं हटना है।' हालांकि प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी को परमाणु बम का परीक्षण करवाने का मौका अपने तीसरे कार्यकाल में 1999 में मिला। पोखरण में हुए इस परीक्षण ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था। शर्मा कहते हैं कि अटलजी ने परमाणु परीक्षण का श्रेय नरसिंह राव को देकर अपने विशाल हृदय होने का उदाहरण दिया था। कार्यक्रम में नरसिंह राव का जिक्र इसलिए था कि आयोजन से तीन दिन पूर्व 23 दिसंबर 2004 को उनका निधन हुआ था।

कार्यकर्ताओं को गलत बोलने से रोक देते थे

भाजपा के वरिष्ठ नेता अजीत बरैया बताते हैं कि अटलजी कार्यकर्ताओं को भी कभी गलत नहीं बोलने देते थे। राममंदिर आंदोलन का किस्सा सुनाते हुए बरैया बताते हैं कि जब हम अयोध्या के लिए कूच कर रहे थे। स्टेशन पर अटलजी के आने की सूचना मिली। सभी प्लेटफॉर्म पर पहुंच गए। जोश-जोश में मैंने नारा लगाया-लाठी गोली खाएंगे, खून की होली खेलेंगे, यह सुनकर भीड़ को चीरते हुए अटलजी मेरे पास आए और मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और कान में कहा- ये नारा कभी मत लगाना।


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