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एमपी की राज्यपाल ने कहा- विकास के लिए समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारा जरूरी

मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि समाज में शांति सद्भाव और भाईचारे के वातावरण को मजबूत रखने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। असामाजिक तत्वों एवं राष्ट्रद्रोही ताकतों का पुलिस कठोरता के साथ दमन करे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:29 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:29 PM (IST)
एमपी की राज्यपाल ने कहा- विकास के लिए समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारा जरूरी
राज्यपाल ने शहीद पुलिस कर्मियों को दी श्रद्धांजलि।

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारे के वातावरण को मजबूत रखने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। असामाजिक तत्वों एवं राष्ट्रद्रोही ताकतों का पुलिस कठोरता के साथ दमन करे। यह भी सुनिश्चित करे कि आमजन स्वयं को सुरक्षित महसूस करे। पटेल बुधवार को राजधानी के लाल परेड मैदान में पुलिस स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने देश और प्रदेश के सभी शहीद पुलिस अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि दी। 

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पटेल ने कहा- पुलिस की उपलब्धियां सराहनीय हैं 

पटेल ने कहा कि प्रदेश पुलिस की उपलब्धियां सराहनीय हैं। उन्होंने हाल ही में मध्य प्रदेश पुलिस की हॉक फोर्स को बालाघाट जिले में आठ लाख रुपये के इनामी नक्सली बादल को गिरफ्तार करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने पुलिस बल में वृद्धि के साथ ही उन्हें आधुनिकतम हथियारों और उपकरणों से लैस करने के निर्णय लिए हैं। पुलिस जवानों और अधिकारियों के स्वजनों की सुख-सुविधाओं और कल्याण के प्रति सरकार का पूरा ध्यान है। जनता के अनुशासित एवं बंधुत्व पूर्ण आचरण से देश में हमारे प्रदेश की साख बनी है। कार्यक्रम में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा भी मौजूद थे।

डीजीपी ने कहा- लद्दाख में 21 अक्टूबर 1959 को 10 जवान शहीद हो गए थे

पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने बताया कि लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर 21 अक्टूबर 1959 को केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवान चीनी सेना के साथ संघर्ष में शहीद हो गए थे। उन्हीं की स्मृति में पुलिस शहीद दिवस मनाया जाता है।

महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बहुमुखी प्रयासों की जरूरत

एक्शन-डे के मौके पर आयोजित शिखर सम्मेलन के वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बहुमुखी प्रयासों की जरूरत है। जरूरी है कि महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति महिला, उनके स्वजन के साथ ही बेटियों को जागरूक किया जाए। महिलाएं अपनी बीमारी के प्रति संकोची हैं, वे दूर जाकर चिकित्सक से परामर्श लेने विशेषकर पुरुष चिकित्सक को दिखाने में संकोच करती हैं, इसलिए आवश्यक है कि तहसील अथवा 10 गांवों के संकुल में महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाए। उन्होंने शिक्षाविदों का आह्वान किया कि वे ऐसा शैक्षणिक पाठ्यक्रम तैयार करें, जिसमें महिलाओं के सशक्तीकरण की पहल हो। कार्यक्रम को मणिपुर की राज्यपाल डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने भी संबोधित किया।


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