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MP Cabinet Expansion: मंत्रिमंडल विस्तार ने दिया संकेत, दादी की तरह ही चलेगी सिंधिया की भी मर्जी

MP Cabinet Expansion सिंधिया कोटे से कमल नाथ सरकार में थे सिर्फ 6 मंत्री अब शिवराज सरकार में हैं 14 मंत्री। हालांकि विभागों के बंटवारे में संतुलन बनना अभी बाकी है।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 04:22 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:06 PM (IST)
MP Cabinet Expansion: मंत्रिमंडल विस्तार ने दिया संकेत, दादी की तरह ही चलेगी सिंधिया की भी मर्जी
MP Cabinet Expansion: मंत्रिमंडल विस्तार ने दिया संकेत, दादी की तरह ही चलेगी सिंधिया की भी मर्जी

भोपाल, आनन्द राय। MP Cabinet Expansion: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का दूसरा कैबिनेट विस्तार पूरा होने के साथ ही, इसे लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लग गया है। कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर कर शिवराज को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को वादे के अनुरूप भाजपा ने मंत्रिमंडल में खासी तवज्जो दी है। मंत्रिमंडल विस्तार के पहले चरण में उनके खेमे के दो विधायकों को मंत्री बनाया गया था और अब सिंधिया समर्थक 12 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। मंत्रिमंडल विस्तार ने संकेत दे दिया है कि अब भाजपा में दादी की तरह ही ज्योतिरादित्य की भी मर्जी चलेगी।

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माना जा रहा है कि जिस तरह वर्ष 1967 में डीपी मिश्र की कांग्रेसी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जनसंघ और बाद में भाजपा में दखल बढ़ा था। ठीक उसी तरह अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में न केवल प्रभाव बढ़ेगा, बल्कि उनकी मर्जी भी चलेगी। पार्टी से बगावत कर सिंधिया के साथ ही भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि भाजपा और सिंधिया अब एक ही हैं। जो भी मंत्री बने हैं, सब भाजपा के ही कार्यकर्ता हैं। अब कोई किसी खांचे में नहीं बंटा है और सबका नेता कमल का निशान है।

अब विभाग के बंटवारे में दिखेगी असली ताकत

शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या भले बढ़ गई है, लेकिन वास्तविक ताकत विभागों के बंटवारे में दिखेगी। कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में तुलसीराम सिलावट को स्वास्थ्य, गोविंद सिंह को परिवहन विभाग मिला था, लेकिन उन्हें बाद में अपेक्षाकृत कम महत्व वाला विभाग मिला। इसी तरह प्रभुराम चौधरी को शिक्षा और इमरती देवी के पास महिला बाल विकास जैसे विभाग थे। अब देखना होगा कि शिवराज सरकार में इन्हें कौन सा विभाग मिलता है।

जाटव समाज को नहीं मिली जगह

सिंधिया के साथ कांग्रेस को टाटा-बाय कहने वाले अनुसूचित जाति के कई विधायक थे, लेकिन इनमें जाटव उपजाति के कमलेश जाटव, जसवंत जाटव और रणवीर जाटव का नाम प्रमुख है। ग्वालियर-चंबल संभाग में जाटव समाज का वर्चस्व भी है। यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि इन तीन जाटवों में किसी को मौका मिलेगा लेकिन यह कयास सच नहीं हुआ। गोहद से रणवीर जाटव तो दूसरी बार चुनाव जीते थे। सिंधिया समर्थकों की दलील है कि उनके कोटे से तो अनुसूचित समाज से इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया ही गया है। हालांकि, ये दोनों अहिरवार उपजाति के हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा कहते हैं कि धीरे-धीरे सभी को अहसास हो जाएगा कि भाजपा छल करने वाली पार्टी है और जो लोग छल-कपट की राजनीति के साझीदार हुए हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

मंत्रिमंडल विस्तार-2 में 28 मंत्रियों ने ली शपथ

गुरुवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राज्यमंत्रियों समेत कुल 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई। इनमें कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए दर्जन भर निवर्तमान विधायकों को शपथ लेने का मौका मिला। कमल नाथ की सरकार में सिंधिया कोटे में तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर और इमरती देवी को मंत्री पद मिला था। ये सभी मंत्री पद कुर्बान कर शिवराज सरकार बनाने में कारगर साबित हुए। दो चरणों के विस्तार में इन सभी को उनका ओहदा वापस लौटा दिया गया है।

इस्तीफा देने वाले 16 में से 8 विधायक बने मंत्री

इनके अलावा इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों में कुल आठ मंत्री पद पाने में सफल हुए हैं। इनमें एंदल सिंह कंसाना और बिसाहू लाल सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता रहा है, जबकि हरदीप सिंह डंग तटस्थ रहे हैं। इन सबको तोडने में गृह मंत्री नरोत्त्तम मिश्र ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि, बगावत के बाद तीनों सिंधिया के नेतृत्व में ही भाजपा में शामिल हुए। सिंधिया कोटे के अन्य मंत्रियों में राज्यवर्द्धन सिंह दत्त्तीगांव, राज्यमंत्री गिरिराज दंतोडिया, विजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया का नाम शामिल है। इस तरह देखा जाय तो पिछली सरकार में छह की बजाय अब 14 मंत्री सिंधिया कोटे से हैं।

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