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MP Bypolls 2020: डबरा सीट से भाजपा प्रत्‍याशी इमरती देवी अपने समधी से हुईं पराजित

डबरा शहर से तो इमरती को समर्थन और वोट मिला लेकिन इस बार डबरा ग्रामीण के मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। इमरती पहले छह राउंड में अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी सुनील राजे से जीत की दौड़ में पिछ़़ड गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 06:15 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 06:15 AM (IST)
MP Bypolls 2020: डबरा सीट से भाजपा प्रत्‍याशी इमरती देवी अपने समधी से हुईं पराजित
डबरा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी!

 ग्वालियर, राज्‍य ब्‍यूरो। अपने शुद्ध देहाती अंदाज के कारण उपचुनाव में सुर्खियों में रही डबरा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी को चौथे राउंड में अपने समधी सुरेश राजे से हार गईं । पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के उनके संबंध में बोले गए अशोभनीय शब्द को भाजपा ने दलित महिला के अपमान का मुद्दा बनाया, लेकिन उसका असर चुनाव परिणामों में नहीं दिखा। डबरा शहर से तो इमरती को समर्थन और वोट मिला, लेकिन इस बार डबरा ग्रामीण के मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। इमरती पहले छह राउंड में अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी सुनील राजे से जीत की दौड़ में पिछ़़ड गई। 13वें राउंड में उन्होंने प्रतिद्वंदी से बढ़त बनाईं, लेकिन 14वें राउंड से वे सुरेश राजे से पिछड़ती चली गईं।

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शिवराज और सिंधिया ने लगाया था जोर

प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे नजदीकी मानी जाती हैं। सिंधिया के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इमरती देवी की सीट पर रोड--शो व सभाएं की थीं। इस चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग के वोट ने भी इमरती देवी से किनारा कर लिया।

क्षेत्र के मतदाताओं का पूर्ण समर्थन नहीं मिलने का आभास था

इमरती देवी दूसरे राउंड के दौरान मतगणना स्थल तक आई। अचलेश्वर मंदिर पर पूजा--अर्चना की। इसके बाद मीडिया से भी अपने अंदाज मिलीं। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 57 हजार से जीत दर्ज की थी। मतगणना के दूसरे राउंड में उन्हें भी इस बात का आभास था कि इस बार क्षेत्र के लोगों का उन्हें पूर्ण समर्थन शायद नहीं मिले। इसके बाद भी वे जीत के प्रति आश्वस्त नजर आती रहीं। मीडिया के सामने उन्होंने दावा किया कि इस बार उनकी जीत 20 हजार से अधिक मतों से होगी, जबकि 2018 में वे इससे तीन गुना अधिक वोट से जीती थीं। इससे साफ था कि उन्हें भी पता था इस बार लोगों का भरपूर समर्थन शायद नहीं मिले।


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