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Madhya Pradesh Byelection : शहडोल के पूर्व कमिश्‍नर आरबी प्रजापति करैरा सीट से ठोकेंगे ताल, बोले- जीतने पर नहीं लूंगा वेतन

मध्‍य प्रदेश के शहडोल में कमिश्‍नर रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरबी प्रजापति शिवपुरी जिले के करैरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। प्रजापति लगभग 10 साल तक चंबल संभाग में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम कर चुके हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 07:00 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 07:00 PM (IST)
Madhya Pradesh Byelection : शहडोल के पूर्व कमिश्‍नर आरबी प्रजापति करैरा सीट से ठोकेंगे ताल, बोले- जीतने पर नहीं लूंगा वेतन
शहडोल में कमिश्‍नर रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरबी प्रजापति शिवपुरी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।

शहडोल, जेएनएन। मध्‍य प्रदेश के शहडोल में कमिश्‍नर रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरबी प्रजापति शिवपुरी जिले के करैरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। लगभग 10 साल तक चंबल संभाग में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम कर चुके प्रजापति चार जिलों में एसडीएम, पांच जिलों में एडिशनल कलेक्टर और तीन जिलों में जिला पंचायत सीईओ रह चुके हैं। वे शिवपुरी में ढाई साल तक अतिरिक्त कलेक्टर के रूप में पदस्थ रहे हैं।

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प्रजापति अशोकनगर कलेक्टर, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य और वन विभाग में एडिशनल डायेक्टर के रूप में भी काम कर चुके हैं। वह शहडोल में कमिश्‍नर के रूप में पदस्थ हुए और मार्च 2020 में यहीं से सेवानिवृत्त भी हुए। प्रशासनिक सेवा में आने से पहले वे छतरपुर के महाराजा कॉलेज में सहायक प्राध्यापक भी रह चुके हैं। सेवानिवृत्त आइएएस ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि शिवपुरी क्षेत्र में उनका प्रशासनिक अधिकारी के रूप में पदस्थ रहने के कारण अच्छा संपर्क है।

उन्होंने कहा कि वह चुनाव जीतने के बाद वेतन नहीं लेंगे। मध्यप्रदेश में छतरपुर समेत 12 जिलों में प्रजापति समाज अनुसूचित जाति वर्ग में आता है। प्रजापति छतरपुर निवासी हैं, इसलिए करैरा आरक्षित क्षेत्र से विधानसभा उपचुनाव लड़ने में किसी तरह की वैधानिक और कानूनी दिक्कत नहीं है। निर्दलीय चुनाव लड़ने के संबंध में सेवानिवृत्त आइएएस ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के दरवाजे पर टिकट के लिए याचना करना मेरे आत्मसम्मान के खिलाफ है।

आरबी प्रजापति ने 25 विधायकों के इस्तीफा देने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यदि बागियों ने वाकई जनता के हितों को ध्यान में रखकर इस्तीफा दिया है और उन्हें क्षेत्र के विकास की इतनी ही फि‍क्र है तो चुनाव में खर्च होने वाली राशि को खुद वहन करना चाहिए। साथ ही यह घोषणा करनी चाहिए कि जीतने के बाद वेतन वे नहीं लेंगे और सुख सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं करेंगे। यदि वे त्यागी और तपस्वी हैं तो उन्हें इसका भी त्याग करना चाहिए।


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