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MP Byelection 2020: पूर्व विधायकों के प्रदर्शन, सांसदों की प्रतिष्ठा और दिग्गजों के रणनीतिक कौशल की परीक्षा

भाजपा में दांव पर जो सबसे बड़ा चेहरा है वह हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीसरे नंबर पर हैं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा। प्रदेशाध्यक्ष केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ हर सीट पर पहुंच रहे हैं तो शिव-ज्योति की जोड़ी भी मैदान में है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 10:31 PM (IST)
MP Byelection 2020: पूर्व विधायकों के प्रदर्शन, सांसदों की प्रतिष्ठा और दिग्गजों के रणनीतिक कौशल की परीक्षा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में उपचुनाव भले ही 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे हों, लेकिन ये भाजपा सांसदों और संगठन के रणनीतिकारों की भी परीक्षा हैं। इन सीटों से इस्तीफा देकर अब भाजपा के टिकट पर मैदान में जो पूर्व विधायक हैं, उनके प्रदर्शन की भी अग्निपरीक्षा होनी है। 

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आमतौर पर विधायक पांच साल बाद सक्रिय होते हैं

दरअसल, पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में मप्र की 29 में से 28 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। सिर्फ छिंदवाड़ा में नकुल नाथ ने कांग्रेस का खाता खोला था। ऐसे में प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में विधानसभा की जो सीटें हैं, उन क्षेत्रों में सांसद भाजपा के ही हैं। राज्यसभा की 11 सीटों में से आठ भाजपा के पास हैं। मुरैना सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल संभाग की सीटों पर सक्रिय हैं, वहीं राज्यसभा सदस्य डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने भी कार्यकर्ताओं के बीच मोर्चा संभाल लिया है। 

अब तक सक्रिय नहीं हुए सारे सांसद

उपचुनाव के लिहाज से देखें तो भिंड सांसद संध्या राय, देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, गुना सांसद डॉ. केपी यादव, ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, इंदौर सांसद शंकर लालवानी, खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव, शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह और सागर सांसद राजबहादुर सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है। इन सभी सांसदों के क्षेत्र में एक या एक से अधिक विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं। ऐसे में उपचुनाव में भाजपा सांसदों पर अपनी लोकप्रियता साबित करने का दबाव है। हालांकि संगठन स्तर पर महसूस किया जा रहा है कि अधिकतर सांसद अभी तक सक्रिय नहीं हुए हैं।

15 महीने की उपलब्धियों को लेकर घूम रहे नाथ

इधर, संगठन के रणनीतिकारों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ अपने 15 महीने के कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर मैदान में हैं तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के चलते संगठन में भी अपनी मर्जी के बिना एक पत्ता नहीं हिलने दे रहे। कांग्रेस में संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाला दूसरा प्रमुख चेहरा हैं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जो फिलहाल मैदानी सक्रियता से दूर पर्दे के पीछे ज्यादा सक्रिय बताए जा रहे हैं। 

शिवराज-सिंधिया के चेहरे 

भाजपा में दांव पर जो सबसे बड़ा चेहरा है, वह हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीसरे नंबर पर हैं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा। प्रदेशाध्यक्ष केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ हर सीट पर पहुंच रहे हैं तो शिव-ज्योति की जोड़ी भी मैदान में है। उपचुनाव के परिणाम इन दिग्गजों के सियासी दम-खम को भी नए सिरे से तय करेगी।

भाजपा के मुख्‍य प्रवक्‍ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि पार्टी में किसी एक नेता के बजाय सामूहिक जिम्मेदारी का भाव होता है। भाजपा उपचुनाव में एकजुट होकर मैदान में है। परिणाम भी भाजपा के पक्ष में आएंगे।


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