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MP By Elections 2020: उम्मीद की किरण देख मध्‍य प्रदेश में परंपरा तोड़ने की तैयारी में बसपा

MP By Elections 2020 मध्‍य प्रदेश में जिन 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं उनमें से 16 पर कभी उसका दबदबा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:37 PM (IST)
MP By Elections 2020: उम्मीद की किरण देख मध्‍य प्रदेश में परंपरा तोड़ने की तैयारी में बसपा
MP By Elections 2020: उम्मीद की किरण देख मध्‍य प्रदेश में परंपरा तोड़ने की तैयारी में बसपा

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। उत्तर प्रदेश, पंजाब के बाद राजस्थान में सिमट रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए मध्य प्रदेश अब उम्मीद की किरण बना हुआ है। राज्य में जिन 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से 16 पर कभी उसका दबदबा रहा है। 10 पर वह कभी न कभी फतह भी हासिल कर चुकी है। ऐसे में पार्टी उपचुनाव से दूरी रखने की अपनी परंपरा को भी तोड़ने की तैयारी में है। 

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उपचुनाव वाली 27 विधानसभा सीटों में से 16 पर बसपा का रहा है दबदबा 

मध्‍य प्रदेश की सत्ता के लिए निर्णायक उपचुनाव में बसपा अपना जनाधार वापस पाने की तैयारी में है। उसे उम्मीद है कि वर्ष 2018 में लगे झटके से उबरकर वह वर्ष 2008 की स्थिति में आ सकती है। बसपा की संभावनाएं इन 16 सीटों के वर्ष 2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों से भी स्पष्ट होती है। वह इन सीटों में से कई पर मुख्य मुकाबले में रही है। साथ ही उसका वोट शेयर भी खासा रहा है। 

यूपी में मायावती सरकार होने से बढ़ा ग्राफ 

2003 में बसपा ने शिवपुरी की करैरा सीट जीती तो मुरैना, अंबाह में 20 से 28 प्रतिशत तक वोट पाए थे, जबकि सात सीटों पर उसका 10 से 19 प्रतिशत तक वोट शेयर था। 2007 से 2012 तक बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, जिसका प्रभाव मध्‍य प्रदेश की सीमावर्ती विधानसभा  सीटों पर रहा। 2008 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मध्‍य प्रदेश की 228 सीटों पर चुनाव लड़कर सात पर सफलता हासिल की। वोट शेयर बढ़कर नौ प्रतिशत हो गया। मुरैना, जौरा सहित चार सीटों पर 30 और छह सीटों पर 20 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। 

2013 से गिर रहा ग्राफ 

2013 में बसपा मध्‍य प्रदेश की 227 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर चार ही जीत सकी और वोट शेयर 6.4 प्रतिशत रह गया। इन 16 में से तीन पर 36 से 44 प्रतिशत तक वोट मिले, जबकि नौ सीटों पर आंकड़ा 20 प्रतिशत से कम था। पार्टी को बड़ा झटका 2018 के विस चुनाव में लगा, जब मुरैना, अंबाह और दिमनी में वोट शेयर 20 प्रतिशत से नीचे चला गया। पोहरी, करैरा और जौरा में ही बसपा 23 से 32 प्रतिशत तक पहुंच सकी। सात सीटों पर तो वोट शेयर एक अंक में ही रहा। पार्टी मानती है कि यह गिरावट उन मतदाताओं के मुंह मोड़ने से आई, जिन्हें कांग्रेस ने भरोसा दिया था कि सरकार बनने पर वह एट्रोसिटी एक्ट के भारत बंद के दौरान उन पर दर्ज मुकदमे वापस लेगी, लेकिन पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार इसे निभा नहीं सकी। 

इन 16 सीटों से बसपा को उम्मीद 

मुरैना, अंबाह, मेहगांव, सुमावली, ग्वालियर शहर, ग्वालियर पूर्व, गोहद, दिमनी, जौरा, डबरा, भांडेर, करेरा, पोहरी, बामोरी, अशोकनगर और मुंगावली। 

इन 10 सीटों पर पूर्व में जीत हासिल की थी

वर्ष सीटें

1993 मेहगांव, डबरा 

1998 अशोकनगर, भांडेर, सुमावली 

2003 करैरा 

2008 जौरा, मुरैना

2013 दिमनी, अंबाह

16 सीटों पर पूरी तैयारी

मध्‍य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलेगी। भाजपा-कांग्रेस से ज्यादा तगड़ी रणनीति बसपा ने बनाई है। जमीन पर काम चल रहा है। चंबल-ग्वालियर की 16 सीटों पर पूरी तैयारी है। 


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