एमपी विधानसभा उपचुनाव रिजल्ट: हारते-हारते सिंधिया को घर में कमजोर कर गए कमल नाथ
महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी जिन पर कमल नाथ ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी वे इस बार हार गई। कमल नाथ का सिर काटने की बात कहने वाले वाले मंत्री गिर्राज डंडौतिया हो या मंत्री ऐदल सिंह कंषाना कोई भी सीट नहीं बचा पाए।
वीरेंद्र तिवारी, ग्वालियर। अजब जुनून है ये इंतिकाम का जज्बा, शिकस्त खाकर वो पानी में जहर डाल आया..शायर अजहर इनायती का यह शेर ग्वालियर-चंबल की राजनीति पर एकदम सटीक बैठता है। यह कहानी है कभी साथ मिलकर सत्ता पाने वाले दो बड़े नेताओं की। यह कहानी है दोस्त से अचानक दुश्मन बने 49 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया और 73 साल के कमल नाथ की। इसे बदला ही कहेंगे कि जहां अन्य जिलों में सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों ने बड़ी जीत दर्ज की वहीं ग्वालियर-चंबल इलाके में ही उन्हें शिकस्त खानी पड़ी। इनमें वे प्रत्याशी भी शामिल हैं जो सिंधिया के एक इशारे पर कमल नाथ का गला काटने और जान देने की बात कह चुके हैं।
कमल नाथ का वन मैन शो
जानकार बताते हैं कि कमल नाथ की अच्छी भली सरकार को जब सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ मिलकर गिरा दिया तो कमल नाथ बदले की आग में जलने लगे। उपचुनाव नजदीक आया तो पूरी कमान अपने हाथ में ले ली। भाजपा की तरफ से जहां बड़े-बड़े दिग्गज प्रचार मैदान में उतारे गए वहीं कमल नाथ का वन मैन शो जारी रहा खासकर सिंधिया की रणभूमि ग्वालियर-चंबल इलाके में। कहा भी जाता है कि किसी वटवृक्ष को यदि कमजोर करना है तो उसकी जड़ों पर वार करो।
कमल नाथ ने ग्वालियर क्षेत्र में दर्जनों सभाएं और रोड शो किए
ग्वालियर सिंधिया परिवार की जड़ है, इसलिए कमल नाथ ने भी एक के बाद एक लगातार यहीं पर वार किया। यदि कमल नाथ के चुनावी दौरों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि शायद उन्होंने पहले से तय कर रखा था कि जिस ग्वालियर महल से अंचल में राजनीति की फिजा बदल जाती है वहां सिंधिया के प्रत्याशियों को हराएंगे। तभी तो बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी ग्वालियर अंचल में नहीं आने वाले कमल नाथ ने प्रचार के लिए इस क्षेत्र में ताबड़तोड़ दर्जनों सभाएं और रोड शो किए।
कमल नाथ ने हर बार कहा- सिंधिया गद्दार हैं
कमल नाथ को अच्छे से पता था कि उन्हें सरकार बनाने के लिए 29 सीटों की जरूरत है जबकि चुनाव ही 28 सीटों पर हो रहे हैं। ऐसे में हार तो जाएं, लेकिन जिसने सत्ता छीनी उसको भी सबक सिखाकर कलेजे में धधकती आग को शांत कर लिया जाए। कमल नाथ ने अंचल में जितनी भी सभाएं की, उनमें एक भी बार खुद की सरकार में किए गए काम को नहीं बताया बल्कि हर बार कहा- सिंधिया गद्दार हैं।
सिंधिया पर मर मिटने वाले तीन प्रत्याशियों को हराने में कामयाब रहे कमल नाथ
कमल नाथ की रणनीति का असर रहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी जिन पर कमल नाथ ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी वे इस बार हार गई। इमरती देवी पिछली बार 55 हजार वोटों से जीती थीं। कमल नाथ का सिर काटने की बात कहने वाले वाले मंत्री गिर्राज डंडौतिया हो या मंत्री ऐदल सिंह कंषाना कोई भी सीट नहीं बचा पाए।
सिंधिया को कमल नाथ का यह बदला याद रहेगा
इन तीन प्रत्याशियों के हारने से भले ही भाजपा की सेहत पर कोई खास फर्क न पड़े, लेकिन सिंधिया को रह-रहकर कमल नाथ का यह बदला याद आता रहेगा। और जब भी राजनीति में बदले की आग के किस्से कहे जाएंगे, यह कहानी भी जरूर याद की जाएगी।