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मोशे अब आतंकियों की हैवानियत की यादों के सहारे दुनिया को पढ़ाएगा इंसानियत का पाठ

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले मोशे के चाचा ने बताया कि उनके भतीजे को चीफ रब्बी के तौर पर तैयार किया जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 10:53 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 12:24 AM (IST)
मोशे अब आतंकियों की हैवानियत की यादों के सहारे दुनिया को पढ़ाएगा इंसानियत का पाठ
मोशे अब आतंकियों की हैवानियत की यादों के सहारे दुनिया को पढ़ाएगा इंसानियत का पाठ

मुंबई, प्रेट्र। चमत्कारिक ढंग से हैवानियत का शिकार होने से बचा बालक अब दुनिया को इंसानियत का पाठ पढ़ाएगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं मुंबई में हुए आतंकी हमले में जीवित बचे बेबी मोशे की। मोशे के चाचा ने बताया है कि वह भी अपने पिता की तरह रब्बी (यहूदी पादरी) बनेगा।

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पिता की तरह ही मोशे बनेगा यहूदी पादरी

मुंबई में यहूदी उपासना स्थल चाबड़ हाउस, जिसे अब नरीमन लाइट हाउस के नाम से जानते हैं, पर 26 नवंबर, 2008 में हुए आतंकी हमले में दो साल के बेबी मोशे को उसकी नैनी (आया) ने बचा लिया था। हमले में मोशे के माता-पिता समेत नौ लोग मारे गए थे।

मुंबई में 2008 के आतंकी हमले में मारे गए थे मोशे के माता-पिता

इजरायल के अफूला शहर में अपने नाना-नानी के साथ रह रहा मोशे होट्सवर्ग इस साल जनवरी में इजरायली प्रधानमंत्री के साथ मुंबई आया था। मोशे के पिता के सगे छोटे भाई, जिनका नाम भी मोशे होट्सवर्ग है, ने उम्मीद जताई है कि बड़ा होकर मोशे अपने पिता की तरह ही बड़ा रब्बी बनेगा और अपने पिता के पद चिन्हों पर चलेगा।

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले मोशे के चाचा ने बताया कि उनके भतीजे को चीफ रब्बी के तौर पर तैयार किया जाएगा। इसके लिए मोशे को उसके नाना-नानी और मुंबई के चीफ रब्बी उसी तरह की शिक्षा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनका भतीजा मुंबई, भारत और दुनिया के लिए 'उजाला और उम्मीद का आकाशदीप है'। बच्चे के जेहन में आतंकियों की बर्बर करतूतें हमेशा बनी रहेंगी, जिसकी मदद से वह दुनिया को अच्छाई और बुराई के बीच फर्क को बेहतर तरीके से बताने में सक्षम होगा।

उन्होंने बताया कि मुंबई हमले से दो महीने पहले वह अपने भाई और भाभी के साथ थे। वह दोनों बड़े ही नेक दिल इंसान थे। वह न सिर्फ नरीमन हाउस आने वाले लोगों को ही भोजन कराते थे, बल्कि कोलाबा बाजार में गरीबों को भी खाना खिलाते थे। उनके घर हर किसी के लिए हमेशा खुले रहते थे।

उन्होंने दुख जताया कि दस साल बाद भी जकी-उर-रहमान लखवी और हाफिज सईद समेत हमले के किसी भी मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।


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