जुलाई में मानसून सत्र, कांग्रेस विधायक दल के पास न नेता और न ही सचेतक; असमंजस में है पार्टी
MP Politics विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष के अलावा मुख्य सचेतक की प्रमुख भूमिका रहती है। मुख्य सचेतक विधायकों पर सदन में पार्टी की ओर से रखे जाने वाले मुद्दों पर सलाह देता है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। एक तरफ भाजपा दो महीने में तीसरी बार मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रही है, दूसरी तरफ कांग्रेस अपने विधायकों में से विपक्ष का नेता, उप नेता, मुख्य सचेतक और सचेतक जैसे पदों के लिए उपयुक्त व्यक्ति का चयन नहीं कर पा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ नेता की तरह काम तो कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा सचिवालय में अधिकृत रूप से लिखित सूचना देने को लेकर पार्टी पसोपेश में है।
विधानसभा में विपक्ष की भूमिका में रहने वाले राजनीतिक दल को नेता प्रतिपक्ष, उपनेता, मुख्य सचेतक और सचेतक तय करना होता है। इसके लिए विधानसभा सचिवालय को विधायक दल के स्थायी सचिव द्वारा लिखित में पत्र दिया जाता है। मध्य प्रदेश में सत्ता पलट के बाद भाजपा सरकार में आई तो उसके विधायक दल ने सबसे पहले शिवराज सिंह चौहान को नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके बाद भाजपा ने पांच मंत्रियों की शपथ कराई और अब दूसरी बार मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रही है। विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष के अलावा मुख्य सचेतक की प्रमुख भूमिका रहती है। मुख्य सचेतक विधायकों पर सदन में पार्टी की ओर से रखे जाने वाले मुद्दों पर सलाह देता है और सदन में उपस्थिति के लिए व्हिप जारी करता है।
उपचुनाव की तैयारी बैठकें, नेता पर चर्चा के बाद बातचीत बंद
वहीं, कांग्रेस द्वारा लॉकडाउन में उपचुनाव की तैयारियों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व विधायक कमल नाथ ने मई के महीने में लगभग दर्जनभर बैठकें कीं, लेकिन विधायक दल के नेता के चयन को लेकर फैसले टालने जैसी स्थितियां निर्मित होती रहीं। करीब सवा महीने पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन पर चर्चा हुई, लेकिन विधानसभा उपचुनाव के पहले टकराहट की स्थितियों से बचने के लिए नेताओं ने इस पर बातचीत ही बंद कर दी।
हालांकि सूत्र बताते हैं कि नेता प्रतिपक्ष के लिए डॉ. गोविंद सिंह और केपी सिंह, उप नेता के लिए सज्जन सिंह वर्मा और बाला बच्चन, मुख्य सचेतक के लिए नर्मदा प्रसाद प्रजापति और जीतू पटवारी, सचेतक के लिए कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा जैसे नेताओं के नाम प्रारंभिक चर्चा में आए थे। बच्चन को बनाया था कार्यवाहक उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में विपक्ष में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष या अन्य पदों पर टालमटोल स्थिति बनने का यह पहला अवसर नहीं है। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के अक्टूबर 2016 में निधन के बाद फरवरी 2017 में नेता प्रतिपक्ष तय हो सका था। बाला बच्चन को कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष बनाकर पार्टी ने चार महीने से ज्यादा समय काटा था।