स्वयंसेवक किसी भी पार्टी में जाने को स्वतंत्र: मोहन भागवत
भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण रखने के दूसरे दिन मोहन भागवत ने कहा कि संघ की कोई राजनीतिक महात्वाकांक्षा नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा समेत सभी अनुषांगिक संगठनों को रिमोट कंट्रोल से चलाने के आरोपों को सोमवार को खारिज कर चुके सरसंघचालक मोहन भागवत ने साफ कर दिया कि आरएसएस की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। संघ का कोई पदाधिकारी राजनीति में नहीं है। 'लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर संघ चुप रहेगा। यह किसी के लिए भी उचित नहीं है।' उन्होंने राजनीतिक दलों पर तंज पर किया और कहा कि स्वयंसेवकों के लिए किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने का विकल्प खुला है, अगर किसी राजनीतिक दल में संघ का स्वयंसेवक नहीं जाता है, तो यह उस दल के लिए सोचने का विषय है।
भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण रखने के दूसरे दिन मोहन भागवत ने कहा कि संघ की कोई राजनीतिक महात्वाकांक्षा नहीं है। उनके अनुसार संघ का समाज को एकजुट करने का बड़ा काम है, जो राजनीतिक दल के दायरे में सिमट नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार खुद एक कुशल राजनीतिक कार्यकर्ता थे, लेकिन उन्होंने राजनीतिक संगठन के बजाय समाज को जोड़ने वाला संगठन बनाने का फैसला किया। तभी से संघ समाज को जोड़ने का काम कर रहा है। इसीलिए रोजमर्रा की राजनीति में नहीं है।
मोहन भागवत के अनुसार 'संघ किसी भी विशेष राजनीतिक दल के लिए काम करने के लिए किसी भी स्वयंसेवक को कभी नहीं बताता है। स्वयंसेवक किसी भी राजनीतिक दल को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन यदि किसी राजनीतिक दल में स्वयंसेवक नहीं जा रहे हैं, तो इस पर उस राजनीतिक दल को खुद विचार करना चाहिए। राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर स्वयंसेवक कहीं भी काम कर सकता है।' उन्होंने कहा कि संघ के लिए केवल देश और समाज अहम है। उसका किसी से बैर नहीं है। किसी के प्रति बैर नहीं, किसी से अत्यधिक दोस्ती नहीं, यह संघ का स्वभाव है।'
राष्ट्रहित के मुद्दे पर सक्रियता का भागवत का बयान एक तरह से भाजपा के विपक्षी दलों के लिए जवाब था। दरअसल,विपक्षी दलों की ओर से बार-बार संघ के हस्तक्षेप का आरोप लगता रहा है। विभिन्न मुद्दों पर नियमित अंतराल में संघ और भाजपा की बैठकें भी होती हैं और उसमें मंत्री भी शामिल होते हैं।