मालदीव के संसद को संबोधित करेंगे PM Modi, पहली ही यात्रा में भारत को सम्मान
मालदीव के संसद ने मोदी को आमंत्रित करने का प्रस्ताव सर्वमत से किया पारित। पीएम पद का शपथ ग्रहण के बाद पहले विदेश दौरे पर मालदीव जाएंगे मोदी।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अभी नई सरकार ने कार्यभार भी नहीं संभाला है लेकिन कूटनीति को लेकर अपने इरादे दिखाने शुरु कर दिये हैं। इरादा साफ है कि इस बार पश्चिमी सीमा पर बसे पाकिस्तान को छोड़ कर अन्य सभी पड़ोसियों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। पड़ोसी देशों ने भी इसी भावना के साथ जवाब देने का संकेत दिया है। तभी मालदीव के संसद मजलिस ने आज सर्वमत से यह प्रस्ताव पारित किया है कि पीएम मोदी आगामी यात्रा के दौरान वहां के संसद की बैठक को संबोधित करेंगे।
मालदीव के विदेश मंत्री अबदुल्लाह शाहिद ने ट्विट कर यह जानकारी दी। मोदी गुरुवार को पीएम पद का शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के तौर पर मालदीव जाने की तैयारी में है।
मालदीव की यात्रा भारतीय कूटनीति के लिए कई लिहाज से महत्वपूर्ण है। वर्ष 2013 से 2018 के दौरान वहां की अब्दुला यामीन सरकार ने भारत के हितों के खिलाफ कई कदम उठाये। वहां चीन को बढ़ावा दिया गया और भारत से सद्भावना रखने वाले राजनीतिक नेता जैसे मोहम्मद नाशीद को देश से बाहर शरण लेना पड़ा। इसकी वजह से मोदी ने बतौर पीएम वहां की यात्रा भी नही की।
पिछले वर्ष हुए चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की जीत ने भारत की चिंता को कम किया है। पीएम मोदी ने उनके शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था। मोहम्मद नाशिद वहां के संसद मजलिस के सभापति बने हैं। सभापति बनने के बाद उन्होंने पहला महत्वपूर्ण काम पीएम मोदी के भावी दौरे के दौरान संसद में भाषण देने के लिए आमंत्रण को लेकर किया है। सभापति मोहम्मद नाशिद की तरफ से पेश इस प्रस्ताव के पक्ष में मजलिस के सभी 80 सदस्यों ने अपना वोट दिया।
मोदी की यात्रा की तारीख अभी घोषित नही की गई है लेकिन उसकी तैयारियां विदेश मंत्रालय में चल रही है। माना जा रहा है कि भारत की तरफ से हिंद महासागर में बसे इस छोटे से लेकिन रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण देश के लिए अरबों डॉलर की परियोजनाओं का ऐलान किया जाएगा।
मोदी ने सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद तकरीबन 4 अरब डॉलर की परियोजनाओं की शुरुआत की बात की थी। इसके अलावा मार्च, 2019 में विदेश मत्री सुषमा स्वराज ने अपनी यात्रा के दौरान वहां 80 करोड़ डॉलर की वित्त सुविधा उपलब्ध कराने का भी ऐलान किया था। मालदीव में अभी तक चीन की मदद से परियोजनाओं चलाई जा रही थी लेकिन इससे इस देश के भारी कर्जे में फंसने का डर हो गया था। दूसरी तरफ भारत बहुत ही आसान शतरें पर आर्थिक मदद दे रहा है।
शपथ ग्रहण समारोह में सभी पड़ोसियो के साथ वार्ता
पडो़सियों के साथ रिश्तों पर खास तौर पर ध्यान देने की शुरुआत पीएम के शपथ ग्रहण के साथ ही हो जाएगी। यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि शपथ ग्रहण में बांग्लादेश, श्री लंका, म्यांमार के राष्ट्रपति उपस्थित होंगे जबकि नेपाल, भूटान व मारीशस के पीएम और थाइलैंड के विशेष प्रतिनिधि शामिल होगे।
प्राप्त सूचना के मुताबिक विदेश मंत्रालय की तैयारी यह है कि शपथ ग्रहण के दूसरे दिन यानी 01 जून को पीएम मोदी के साथ सभी आमंत्रित मेहमानों की द्विपक्षीय वार्ता हो। मोदी इस अवसर का उपयोग खास तौर पर नेपाल, श्री लंका और भूटान के साथ द्विपक्षीय वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहते हैं। इस तेजी के पीछे चीन की तरफ से भारत के सभी पड़ोसी देशों में पैठ बनाने की मुहिम है।
भारत ने दो दिन पहले ही जापान व श्री लंका के साथ मिल कर एक समझौता किया है जिसके तहत तीनों देश मिल कर कोलंबों में एक कंटेनर टर्मिनल बनाएंगे। पीएम मोदी और श्री लका के राष्ट्रपति मैथ्रीपाला सिरीसेना के बीच होने वाली बातचीत में आगे की ढांचागत परियोजनाओं पर खास तौर पर बात होगी। साथ ही श्री लंका में आतंकवाद को फैलने से रोकने में भारत की तरफ से भरपूर मदद की भी पेशकश की जाएगी।
इसी तरह से नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली को लेकर विदेश मंत्रालय खासा उत्साहित है। ओली की छवि भारत विरोधी राजनेता की है लेकिन पिछले वर्ष चुनाव में जीत कर आने के बाद उन्होंने भारत को लेकर अपने रवैये में कुछ बदलाव किया है। वर्ष 2017- 2018 में भारत ने नेपाल के लिए कई सारी परियोजनाओ का ऐलान किया था। मोदी और ओली के बीच होने वाली मुलाकात में इन परियोजनाओं की समीक्षा होगी।
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