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मोदी सरकार कर रही है नोटबंदी-2 की तैयारी, RBI पर बनाया जा रहा दबावः कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार नोटबंदी पार्ट-2 की प्लानिंग कर रही है, इसलिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर दबाव बनाया जा रहा है।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 01:57 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 01:59 PM (IST)
मोदी सरकार कर रही है नोटबंदी-2 की तैयारी, RBI पर बनाया जा रहा दबावः कांग्रेस
मोदी सरकार कर रही है नोटबंदी-2 की तैयारी, RBI पर बनाया जा रहा दबावः कांग्रेस

नई दिल्ली, आइएनएस। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार नोटबंदी पार्ट-2 की तैयारी कर रही है। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार नोटबंदी पार्ट-2 की प्लानिंग कर रही है, इसलिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर दबाव बनाया जा रहा है। सरकार इसके लिए आरबीआइ के भंडार के बड़े हिस्से का इस्तेमाल करना चाहती है। कांग्रेस ने दावा किया है कि राजग सरकार ने रिजर्व बैंक की संचित निधि से 3.60 लाख करोड़ रुपये हथियाने का प्रयास अभी छोड़ा नहीं है। सरकार पिछले दरवाजे से इस रकम को हासिल करने के साथ ही आरबीआई के संस्थागत तंत्र को ध्वस्त करने पर तुली है।

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पार्टी ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के सचिव के बयान को आधार बनाते हुए यह आशंका जाहिर की है। साथ ही आरोप लगाया कि राजग सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को देने और चुनावी रेवड़ियां बांटने के लिए रिजर्व बैंक की संचित निधि का 40 फीसद हासिल करने का खतरनाक फैसला लेने पर आमादा है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आर्थिक मामलों के सचिव की 9 नवंबर को ट्वीट के जरिये दी गई सफाई में सरकार ने आरबीआई की संचित निधि से पैसे नहीं लेने को लेकर स्पष्ट बयान नहीं दिया है। सचिव के ट्वीट में यह बताने की कोशिश की गई है कि 3.60 लाख करोड़ रुपये विशेष लाभांश के रूप में नहीं ले रही है। मगर उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि रिजर्व बैंक को कितनी जरूरी पूंजी चाहिए, इस प्रस्ताव के फ्रेमवर्क पर चर्चा चल रही है।

सिंघवी के अनुसार, सचिव का बयान यह साफ करता है कि रिजर्व बैंक की संचित निधि को घटाकर सरकार चोर दरवाजे से 3.60 लाख करोड़ हथियाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह नोटबंदी-2 सरीखा फैसला है जो रिजर्व बैंक की दुनिया में भरोसा ही नहीं, लोकतंत्र की मजबूत संस्था के रूप में उसकी बुनियाद को ध्वस्त करेगा।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना था कि रिजर्व बैंक की आपदा निधि उसके कुल कारोबार का 6 फीसद है, जो ज्यादा नहीं है। यह दुनिया के आर्थिक मानकों के हिसाब से न्यूनतम जरूरी है। इसीलिए बीते 70 साल में देश की किसी सरकार ने संचित निधि के साथ राजनीतिक मंशा के लिए खिलवाड़ नहीं किया। रिजर्व बैंक की संचित निधि को घटाने के खतरों से अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा, जो पहले ही नोटबंदी की मार झेल रही है।


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