जहरीले प्रदूषण से निपटने के लिए ये है मोदी सरकार की योजना
पिछले महीने दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं सहित ईरान, अफगानिस्तान की ओर से आई धूल भरी हवाओं के चलते दिल्ली और आसपास का क्षेत्र गहरे धुंध से ठक गया था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली और एनसीआर को जहरीली हवा के प्रकोप के बचाने के लिए केंद्र सरकार अब सख्ती के मूड में आ गई है। सरकार ने इससे जुड़े हरेक व्यक्ति की जिम्मेदारी तय करने का फैसला लिया है। इनमें अधिकारी भी शामिल होंगे यानि प्रदूषण का स्तर बढ़ा, तो जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
दरअसल, अभी तक वायु प्रदूषण से जुड़े अफसरों और कर्मचारियों की कोई जिम्मेदारी तय नहीं थी। सरकार ने पराली मामले में भी पंजाब और हरियाणा सरकार को भी अफसरों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है। वायु प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए पीएमओ की देखरेख में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की शनिवार को इस मसले पर बैठक हुई। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, कृषि मंत्रालय के सचिव, परिवहन मंत्रालय के सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी सहित हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिव भी मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सबसे पहले परिवहन मंत्रालय के सचिव की देखरेख में गठित उप-समिति की रिपोर्ट को लेकर चर्चा हुई। जिसमें पराली के जलाने की घटनाओं पर रोकथाम और उस पर निगरानी जैसे उपाय शामिल थे। इस दौरान पराली को नष्ट करने के सभी विकल्पों को अपनाने को लेकर जहां चर्चा हुई, वहीं इसकी निगरानी और जिम्मेदारी तय करने पर भी जोर रहा। बैठक में पराली की समस्या वाले हरियाणा और पंजाब को सख्ती से इस मामले को निपटाने को कहा गया।
कमेटी का सुझाव था कि जब तक इस मामले में जिम्मेदारी तय नहीं होगी, तब तक कोई अधिकारी गंभीरता से काम नहीं करेगा। इस दौरान सेटेलाइट की मदद से पराली के जलने की घटनाओं पर नजर रखने और इसकी एक रिपोर्ट प्रतिदिन हरियाणा और पंजाब को देने को लेकर भी सहमति बनी।
गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं सहित ईरान, अफगानिस्तान की ओर से आई धूल भरी हवाओं के चलते दिल्ली और आसपास का क्षेत्र गहरे धुंध से ठक गया था। स्थिति गंभीर होते देख इन मामले में पीएमओ ने दखल दी थी। साथ ही इस स्थिति से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी कमेटी की थी। जिसमें पर्यावरण, कृषि और परिवहन मंत्रालयों के सचिवों को शामिल किया गया था।
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