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मोदी सरकार को संसदीय समिति में कालेधन के मुद्दे पर करना पड़ सकता है तीखे सवालों का सामना

21 फरवरी को संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थाई समिति की बैठक में कालेधन के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। कालेधन व भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 08:35 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 01:26 AM (IST)
मोदी सरकार को संसदीय समिति में कालेधन के मुद्दे पर करना पड़ सकता है तीखे सवालों का सामना
मोदी सरकार को संसदीय समिति में कालेधन के मुद्दे पर करना पड़ सकता है तीखे सवालों का सामना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार को कालेधन के मुद्दे पर संसद सदस्यों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी बृहस्पतिवार को संसदीय समिति के समक्ष देश के भीतर और बाहर छुपे कालेधन के बारे में जानकारी देंगे। ऐसे में अधिकारियों को इस मुद्दे पर सदस्यों के सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा।

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सूत्रों ने कहा कि 21 फरवरी को संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थाई समिति की बैठक में कालेधन के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधिकारी देश के भीतर और बाहर छुपी अघोषित आय और संपत्ति के बारे में एक विश्लेषण समिति के समक्ष पेश करेंगे।

21 फरवरी को कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में होगी समिति की बैठक

कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब आम चुनावों की घोषणा होने में महज कुछ ही दिन शेष हैं और कालेधन व भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं। 2014 के लोक सभा चुनाव में भ्रष्टाचार और कालाधन अहम मुद्दा था, इसलिए समिति में शामिल विपक्षी दलों के सदस्य इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकते हैं।

इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह भी बतौर सदस्य शामिल हैं। इससे पूर्व यह समिति नोटबंदी के मुद्दे पर भी सरकार और रिजर्व बैंक की खिंचाई कर चुकी है। ऐसे में इस बात के पूरे आसार हैं कि जब अधिकारी समिति के समक्ष पेश होंगे तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि नोटबंदी के बाद कितना कालाधन सामने आया।

गौरतलब है कि हाल में समाप्त हुए बजट सत्र में भी सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने कालेधन का अनुमान लगाने के लिए गठित की गयीं समितियों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी। हालांकि सरकार ने इसे यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वित्त मंत्रालय इन रिपोर्ट को पहले ही लोक सभा सचिवाालय को सौंप चुका है।


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