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मोदी सरकार दागी अफसरों को कोई मौका देने के मूड में नहीं, नियमों में बदलाव का प्रस्‍ताव

केंद्र सरकार दागी अफसरों को कोई मौका देने के मूड में नहीं है लिहाजा सरकार ने नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 11:41 PM (IST)
मोदी सरकार दागी अफसरों को कोई मौका देने के मूड में नहीं, नियमों में बदलाव का प्रस्‍ताव
मोदी सरकार दागी अफसरों को कोई मौका देने के मूड में नहीं, नियमों में बदलाव का प्रस्‍ताव

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार दागी अफसरों को कोई मौका देने के मूड में नहीं है, लिहाजा सरकार ने नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है। इसके तहत अदालतों से भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए आइएएस, आइपीएस और आइएफएस अफसरों के निलंबन आदेश की कोई समीक्षा नहीं होगी।

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भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार में वापस आने की अनुमति नहीं मिलने की तैयारी 

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में अखिल भारतीय सेवाओं (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 में संशोधन करने का फैसला किया है। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) और भारतीय वन सेवा (आइएफएस) अधिकारियों पर लागू होगा।

सेवा नियमों में बड़ा बदलाव करने का फैसला

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कार्मिक मंत्रालय ने सेवा नियमों में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है ताकि अखिल भारतीय सेवा के भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार में वापस आने की अनुमति न मिले। प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसे अधिकारियों के मामलों की समीक्षा समिति द्वारा समीक्षा नहीं की जाएगी अगर उन्हें अदालत से दोषी ठहराया गया है। इसका मतलब है कि ऐसे अधिकारी तब तक अनिश्चितकाल के लिए निलंबित रहेंगे जब तक कि बड़ी अदालत का आदेश उनके पक्ष में नहीं आ जाता।'

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से टिप्‍पणियां मांगी गई  

इस संबंध में डीओपीटी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखा है जो क्रमश: आइपीएस और आइएफएस अधिकारियों के काडर नियंत्रण प्राधिकारी हैं। साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भी पत्र लिखकर इस प्रस्ताव पर उनकी टिप्पणियां मांगी गई हैं। इसके लिए उन्हें 15 मई तक का वक्त दिया गया है। अगर तब तक किसी राज्य का जवाब नहीं मिला तो मान लिया जाएगा कि उसे प्रस्तावित संशोधन पर कोई एतराज नहीं है।

वर्तमान नियमों के तहत, शुरुआत में निलंबन आदेश 60 दिन (दो महीने) का होगा और उसे एक बार में 120 दिनों (चार महीने) के लिए बढ़ाया जा सकता है। संबंधित समीक्षा समिति की सिफारिश पर सक्षम प्राधिकारी निलंबन आदेश की समीक्षा भी कर सकता है।


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