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मनरेगा के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता

मनरेगा केवल जीविकोपार्जन का साधन नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिली है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:45 PM (IST)
मनरेगा के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता
मनरेगा के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत चालू वित्त वर्ष के दौरान अधूरे पड़े पौने दो करोड़ कार्यो को पूरा कराया गया। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इन अधूरे कार्यो को पूरा कराने को उच्च प्राथमिकता दी। इन्हें पूरा करने में ढाई साल का समय लगा। अधूरे कार्यो में प्राकृतिक संसाधनों, जल संरक्षण, स्थायी कार्यो के साथ गरीबों की ग्रामीण आवासीय योजना प्रमुख थी। मनरेगा के तहत कराये सभी कार्यो की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इनकी सख्त निगरानी प्रणाली अपनाई गई।

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चालू वित्त वर्ष के दौरान पौने दो करोड़ कार्य पूरे कराये गये

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भूजल को बनाये रखने, पशुचारा की उपलब्धता और प्रति एकड़ उपज बढ़ाने में मनरेगा ने अहम भूमिका निभाई है। गरीबों की आमदनी बढ़ाने के लिए पशु पालन जैसे कार्यो को भी इसमें शामिल किया गया है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 142 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित किये गये। जिन राज्यों में बाढ़, सूखा अथवा अन्य तरह की प्राकृतिक आपदाएं आईं, उन राज्यों में मानव दिवसों की संख्या में इजाफा भी किया गया।

मनरेगा जैसी योजना में महिलाओं की भागीदारी 53 फीसद

मनरेगा में सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा महिलाओं की भागीदारी को लेकर है, जिसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 53 फीसद मानव दिवस महिलाओं के लिए सृजित किये गये। इसी साल 3.57 दिव्यांग जनों को भी मनरेगा में काम दिया गया। मनरेगा में आवंटित धनराशि को राष्ट्रीय स्तर पर 65 और 35 के अनुपात में खर्च किया गया। जबकि जिला स्तर पर इसका अनुपात 60 और 40 फीसद का है। मनरेगा में कराये गये शत प्रति कार्यो को जियो टैग किया गया है, ताकि घपले की गुंजाइश को कम किया जा सके।

मंत्रालय के मुताबिक मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी का 92 फीसद भुगतान निर्धारित अवधि के भीतर कर दिया गया। भुगतान शतप्रतिशत बैंक खातों व डाकघरों में आन लाइन ही किया गया है। मांग आधारित योजना होने के नाते राज्यों से जो भी मांग आती है, उसके अनुरूप धन का आवंटन कर दिया जाता है। मनरेगा केवल जीविकोपार्जन का साधन नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिली है।


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