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जानिए, क्‍यों कश्‍मीर में अतिरिक्‍त सुरक्षाबलों की तैनाती से परेशान हैं आतंकी और अलगाववादी

आतंकवाद से लंबे से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर तरह-तरह से कयास लगाए जा रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 02:56 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 03:04 PM (IST)
जानिए, क्‍यों कश्‍मीर में अतिरिक्‍त सुरक्षाबलों की तैनाती से परेशान हैं आतंकी और अलगाववादी
जानिए, क्‍यों कश्‍मीर में अतिरिक्‍त सुरक्षाबलों की तैनाती से परेशान हैं आतंकी और अलगाववादी

नई दिल्ली, नीलू रंजन। कश्‍मीर घाटी में अतिरिक्‍त सुरक्षाबलों की तैनाती से आतंकी और अलगाववादी परेशान हैं। विकास योजनाओं और जमीनी स्तर पर मजबूत होते लोकतंत्र के कारण आम जनता के बदलते रूख से अलगाववादियों और आतंकियों की परेशानी स्वाभाविक है और वे इसे रोकने का भरसक प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में आम जनता के बीच विकास के साथ-साथ सुरक्षा का अहसास भी कराना जरूरी है। अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है।

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हालांकि, जम्मू-कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों की अतिरिक्त 28 कंपनियों की तैनाती की अटकलों को खारिज कर दिया है। गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले हफ्ते अतिरिक्त 100 कंपनियों की तैनाती का फैसला किया गया था। इन कंपनियों के जवान अपनी-अपनी तैनाती के स्थानों तक पहुंच रहे हैं। गृह मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से जवानों की ट्रेनिंग, आराम और नए स्थानों पर तैनाती एक सतत प्रक्रिया है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

गौरतलब है कि आतंकवाद से लंबे से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर तरह-तरह से कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोग इसे 35ए हटाने से जोड़ कर देख रहे हैं, तो कुछ लोग राज्य में अगले कुछ महीने में होने वाले विधानसभा के संभावित चुनाव की तैयारी मान रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से कश्मीर में 15 अगस्त के आसपास किसी बड़े आतंकी हमले और उससे निपटने के लिए अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बल की जरूरत भी बताई जा रही है। वहीं, आजादी के बाद 15 अगस्त को पहली बार जम्मू-कश्मीर में पहली बार तिरंगा फहराने की तैयारियों से भी अतिरिक्त जवानों की तैनाती को जोड़ा रहा है।

तमाम अटकलों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ-साफ कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बल भेजने का फैसला किया गया है। लेकिन वे सुरक्षा जरूरतें कौन-कौन सी हैं, यह साफ नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार पंचों-सरपंचों और नगरीय चुनावों के बाद निचले स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने का काम हो रहा है और उनके माध्यम से गांव-गांव तक विकास योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है। 40 हजार पंचों-सरपंचों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर विकास योजनाओं के लिए केंद्र की ओर से सीधे 700 करोड़ रुपये पंचायतों को भेजे जा चुके हैं और इसी वित्तीय वर्ष में 1500-1500 करोड़ की दो और किस्त भेजने की तैयारी है।

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