नौसेना की बढ़ेगी ताकत, देश में बनेंगी छह पनडुब्बी; स्वदेशी तकनीक से निर्माण की क्षमता को मिलेगा बढ़ावा
रक्षा खरीद परिषद ने इस परियोजना को जनवरी में ही मंजूरी दे दी थी। मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनने वाली यह दूसरी शस्त्र प्रणाली होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के पनडुब्बी बेड़े को मजबूत करने की दिशा में एक अच्छी खबर आई है। रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया के तहत लगभग 45,000 करोड़ रुपये की लागत वाली छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आशय पत्र आमंत्रित किए हैं।
रक्षा खरीद परिषद ने इस परियोजना को जनवरी में ही मंजूरी दे दी थी। 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में बनने वाली यह दूसरी शस्त्र प्रणाली होगी। इसके पहले रक्षा मंत्रालय ने सामरिक साझेदारी के मॉडल के तहत 111 नौसैनिक हेलीकॉप्टर निर्माण का टेंडर जारी किया था। इन दोनों परियोजनाओं से भारत में बड़े हथियारों के निर्माण को भारी बढ़ावा मिलेगा।
इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की भविष्य की जरूरतों के लिए जटिल हथियार प्रणालियों के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए निजी क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं का विकास करना है। यह व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने, आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र को सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
रक्षा मंत्रालय ने यहां बताया कि परियोजना के लिए रणनीतिक साझेदारों के चयन से संबंधित आशय पत्र रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसे दो सप्ताह में जारी कर दिया जाएगा। यह फैसला खरीद मामलों पर निर्णय करने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था रक्षा खरीद परिषद(डीएसी) की बैठक में किया गया है। ये परियोजना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पूरी की जाएगी, जो विदेशी रक्षा निर्माताओं के साथ मिलकर भारत में चुनिंदा सैन्य प्लेटफॉर्म बनाने के लिए निजी फर्म को जिम्मेदारी देने की व्यवस्था करता है।
यह परियोजना देश में पनडुब्बी निर्माण और डिजाइन की अत्याधुनिक तकनीक भी साथ लेकर आएगी। संभावित रणनीतिक साझेदारों को मूल रक्षा उपकरण निर्माताओं के साथ मिलकर देश में स्वदेशी तकनीक से पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण इकाइयां लगाने की अनुमति दी गई है, ताकि भारत को विश्व में पनडुब्बी निर्माण के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, इस परियोजना के तहत भारतीय नौसेना के पास छह और पनडुब्बियों के निर्माण का विकल्प भी होगा। यह परियोजना देश में न केवल मूल पनडुब्बी/जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने में मदद करेगी, बल्कि पनडुब्बियों से संबंधित कलपुर्जे, प्रणालियों, उपकरण बनाने वाले विनिर्माण इकाइयों को भी बढ़ावा देगी, जिससे मुख्य रूप से कलपुर्जे बनाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग लाभांवित होंगे।
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