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संसद में मंत्रियों की भी लग रही है क्लास, नई व्यवस्था में किसी भी सदस्य को छूट नहीं

राज्यसभा में मंत्रियों की गैर-हाजिरी का भी मुद्दा उठा। सभापति वैंकेया नायडू ने नाखुशी जताई और कहा कि यह गंभीर मामला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 11:14 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 01:05 AM (IST)
संसद में मंत्रियों की भी लग रही है क्लास, नई व्यवस्था में किसी भी सदस्य को छूट नहीं
संसद में मंत्रियों की भी लग रही है क्लास, नई व्यवस्था में किसी भी सदस्य को छूट नहीं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने व्यवस्था बनाने की जो परंपरा शुरू की है उसमें मंत्रियों के लिए भी छूट नहीं है। लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं जिसमें इनकी ओर से मंत्रियों को ताकीद किया जा रहा है।

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लोकसभा अध्यक्ष ने सदन में बाबुल सुप्रियो को टोका

शुक्रवार को लोकसभा में उस वक्त बिरला ने पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो को टोक दिया जब वह आगे आकर अपने सीनियर मंत्री प्रकाश जावडेकर से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले एक दिन उन्होंने राज्यमंत्री दानवे रावसाहेब दादाराव को टोका था और नाराजगी जताई थी कि वह प्रश्नकाल में पूरा ध्यान नहीं लगा रहे हैं।

सभापति सदन में मंत्रियों की गैर-हाजिरी पर नाखुश

दूसरी ओर राज्यसभा में मंत्रियों की गैर-हाजिरी का भी मुद्दा उठा। सभापति वैंकेया नायडू ने नाखुशी जताई और कहा कि यह गंभीर मामला है। वह इसे लेकर बात करेंगे। सभापति इससे पहले सांसदों की गैर-हाजिरी को लेकर भी कड़ी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। इस दौरान उन्होंने सवाल पूछकर गायब रहने वाले सांसदों के नाम का भी जिक्र किया था।

सदन में दस्तावेजों को पेश करने में मंत्री थे अनुपस्थित

राज्यसभा में यह मुद्दा शुक्रवार को शून्यकाल शुरू होने के दौरान तब उठा, जब सभापति ने कार्यसूची के मुताबिक, दस्तावेजों को पेश करने के लिए मंत्रियों के नाम पुकारे। इनमें पहला नाम आरके सिंह का था जो सदन से अनुपस्थित थे। दूसरा नाम अनुराग सिंह ठाकुर का था। हालांकि जैसे ही इनका नाम पुकारा गया, उस समय सदन में मौजूद मंत्री सोम प्रकाश ने खड़े होकर उसके दस्तावेजों को पेश करने की कोशिश की, लेकिन सभापति ने उनसे अनुमति न लेने का मुद्दा खड़े करते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया।

सत्ता पक्ष असहज स्थिति में

हालांकि इस दौरान सोम प्रकाश ने अनुराग ठाकुर की ओर से चिट्ठी दिए जाने का जिक्र किया, लेकिन सभापति ने उस समय इसकी अनुमति नहीं दी। बाद में उपसभापति हरिवंश से अनुमति लेकर सोम प्रकाश ने सदन के पटल पर रखा। वहीं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सत्ता पक्ष काफी देर तक असहज स्थिति में रहा।


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