Move to Jagran APP

कृषि कानून विरोधी आंदोलन को दबाने को लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को किया आगाह

राज्यपाल ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को एक मजबूत अपवाद के रूप में लिया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि जिन लोगों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान कानून और व्यवस्था का उल्लंघन किया वे किसान नहीं थे।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2021 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2021 07:06 PM (IST)
कृषि कानून विरोधी आंदोलन को दबाने को लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को किया आगाह
दो महीने से भी ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसान

शिलांग, एएनआइ। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं को सुनने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसान आंदोलन को दबाने के बजाय उनकी चिंताओं को सुनना चाहिए।

loksabha election banner

राज्यपाल ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, 'मैं सचेत करना चाहूंगा कि दुनिया में किसी भी मुद्दे को दबाना कोई समाधान नहीं है। दबाने से, यह कुछ समय के लिए नीचे चला जाता है, लेकिन फिर यह और भी बड़ी ताकत के साथ उभरता है।' कृषि क्षेत्रों से लेकर सत्ता के गलियारों तक की अपनी यात्रा को याद करते हुए, मलिक ने कहा कि वह किसानों की चिंताओं को समझते हैं। राज्यपाल ने कहा, 'इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकालना देश के हित में है। मैं सरकार से उनकी (किसानों) चिंताओं को सुनने का आग्रह करता हूं। दोनों पक्षों को जिम्मेदारी से बातचीत में शामिल होना चाहिए।'

बता दें कि दो महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली के सीमा क्षेत्रों में किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। मलिक ने कहा, 'जिस तरह से किसान 60 दिनों से बाहर पड़े हुए हैं, उनके परिवार के सदस्य भी परेशान हो रहे हैं, घरेलू काम बंद है। सरकार की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन सरकार शीर्ष पर है तो उन्हें हल निकालना होगा। सरकार के हाथ में सब कुछ है। उसे इस मुद्दे को महानता दिखाते हुए हल करना चाहिए और किसानों एवं कृषि के हित को ध्यान में रखते हुए समाधान करना चाहिए।'

इस बीच, मलिक ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को एक मजबूत अपवाद के रूप में लिया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि जिन लोगों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान कानून और व्यवस्था का उल्लंघन किया, वे किसान नहीं थे।

उन्होंने कहा, '26 जनवरी को, हिंसा में उपद्रवियों को शामिल किया गया था। उस दिन तक बड़े किसानों का विरोध शांत हो गया था। किसानों ने सब कुछ सहन किया, उन्हें पीड़ा हुई, पर वो उग्र नहीं थे। मैं उन्हें उस श्रेणी में नहीं रखना चाहता।' यह पूछे जाने पर कि क्या वह केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकते हैं। राज्यपाल ने स्पष्ट रूप से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सरकार इसे स्वयं हल करेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.