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विदेश मंत्रालय की दो-टूक, एलएसी का सम्‍मान लेकिन यथास्थिति बदलने की ना हो कोशिश

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम एलएसी का पूरी तरह से आदर करते हैं लेकिन दूसरे पक्ष की तरफ से यथास्थिति बदलने की कोशिश को सहन नहीं किया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 01:36 AM (IST)
विदेश मंत्रालय की दो-टूक, एलएसी का सम्‍मान लेकिन यथास्थिति बदलने की ना हो कोशिश
विदेश मंत्रालय की दो-टूक, एलएसी का सम्‍मान लेकिन यथास्थिति बदलने की ना हो कोशिश

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बृहस्‍पतिवार को कहा कि जहां तक भारत का एलएसी को लेकर सवाल है उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हम एलएसी का पूरी तरह से आदर करते हैं लेकिन दूसरे पक्ष की ओर से यथास्थिति बदलने की किसी भी कोशिश को सहन नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अनुराग श्रीवास्‍तव ने कहा कि पश्चिमी सीमा पर पूरी तरह से शांति बहाली के लिए दोनों पक्षों के बीच आगे भी बातचीत जारी रहेगी। दोनों पक्ष इस बात के लिए सहमत हैं कि शांति बहाली का काम जल्द से जल्द होना चाहिए।

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भारत की तरफ से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया

पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों से चीनी सैनिकों के पीछे हटने की पहले चरण की प्रक्रिया के बाद 14 जुलाई को कोर कमांडरों की 15 घंटे हुई मैराथन बैठक के बाद भारत की तरफ से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया दी गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने बताया कि अभी चीन के साथ हमारी जो बात हो रही है उसमें मुख्य तौर पर किसी तरह के टकराव की स्थिति को टालने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीबी तैनातियों को हटाने पर ध्यान दिया जा रहा है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि एलएसी के अपने-अपने क्षेत्र में कहां-कहां अपने सैनिकों की तैनाती कर सकते हैं।

भविष्य में ना हो ऐसी कोई हिंसक झड़प

दरअसल, 15 जून को गलवन नदी घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प ने जिस तरह से द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित किया है उसे दोनों देश बखूबी समझ रहे हैं। यही वजह है कि इसके बाद सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर पिछले तीन दौर की जो वार्ताएं हुई हैं उसमें सबसे ज्यादा ध्यान इसी बात पर दिया गया है कि भविष्य में ऐसी कोई हिंसक झड़प ना हो। दोनों पक्ष यह मानते हैं कि यह तभी संभव होगा जब आमने-सामने तैनात सेनाओं को पीछे किया जाए। सेनाओं को पीछे हटाने को लेकर अभी तक जो बातचीत हुई है उसकी प्रगति से दोनों पक्ष फिलहाल संतुष्ट दिख रहे हैं।

तनातनी टालने को लेकर प्रतिबद्ध

उधर, भारतीय सेना ने कहा है कि एलएसी पर आमने-सामने का टकराव (डिसइंगेजमेंट) खत्म करने का काम एक जटिल प्रक्रिया है जिसका लगातार परीक्षण (वेरिफिकेशन) जरूरी है। बीते सोमवार 14 जुलाई को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की चौथे दौर की बैठक के बाद सेना ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को आमने-सामने के टकराव से हटाने का मसला जटिल जरूर है मगर दोनों देश तनातनी को टालने के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

चीन का रवैया अड़ि‍यल

आधिकारिक तौर पर अगली कूटनीतिक बैठक को लेकर भी एक दूसरे से संपर्क साधा गया है। सैनिकों की वापसी अब तेज होने की बात भी कही जा रही है। भारत इस बात पर खास तौर सतर्क है कि फिंगर एरिया से सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे पर चीन का रवैया कैसा रहता है। सूत्रों का कहना है कि फिंगर एरिया को लेकर चीन का रवैया थोड़ा अड़ि‍यल है। हालांकि बीते 06 जून को कमांडर स्तर की वार्ता के बाद एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत में सहमति थी कि एलएसी पर मई, 2020 से पहली वाली स्थिति बहाल की जाएगी।

फिंगर एरिया से सैनिकों को हटाए चीन

इसका साफ मतलब है कि चीन को फिंगर एरिया से भी सैनिकों को हटा कर एलएसी के अपने तरफ ले जाना है। जब तक संपूर्ण तौर पर ऐसा नहीं हो जाता डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को भारत पूरा नहीं मानेगा। भारत एलएसी पर मई महीने की शुरुआत वाली यथास्थिति की बहाली के अपने रुख पर कायम है। वैसे गलवन घाटी, गोगरा व हॉट-स्पि्रंग इलाकों में दोनों देशों के सैनिक डेढ़ से दो किलोमीटर तक पीछे हट गए हैं और उनके बीच करीब चार किलोमीटर का बफर जोन बन गया है। लेकिन 15 जून की घटना दोबारा ना हो इसके लिए जरूरी है कि सेनाओं की आमने-सामने की तैनाती को पीछे किया जाए। 


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