MP में कांग्रेस का मास्टर प्लान, सिंधिया को गद्दार करार देने के लिए घर-घर पहुंचाई जा रही ये किताब
कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया है कि कांग्रेस ऐसे चुनाव और मतदान को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले बुद्धिजीवियों के घर डॉ. वृंदावनलाल वर्मा की किताब झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पहुंचा रही है। राज्य में होने वाले उप-चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप बढ़ते जा रहा हैं।
ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव की तारीख नजदीक आर रही है वैसे-वैसे मुकबला कड़ा होता नजर आ रहा है। कांग्रेस लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमलावर है। वह अपने हाथ से कोई भी मौका नहीं जाने दे रही है। अब कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया है कि ज्योतिरादित्य एवं सिंधिया राजवंश पर भूमाफिया होने के आरोप कांग्रेस दस्तावेजों के साथ लगी रहती है। कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया है कि कांग्रेस ऐसे चुनाव और मतदान को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले बुद्धिजीवियों के घर डॉ. वृंदावनलाल वर्मा की किताब 'झांसी की रानी लक्ष्मी बाई" पहुंचा रही है।
दरअसल, इस किताब में 1875 की क्रांति को लेकर सिंधिया राजघराने को कटघरे में खड़ा किया गया है। कांग्रेस ने दावा किया कि इस किताब को सिंधिया राजघराने ने धनबल के जोर पर बाजार से गायब करा दिया। अब राज्य में होने जा रहे उपचुनाव के मतदान के कुछ दिन पहले 1857 की क्रांति की गाथा सुनाती नई प्रिंट हुई किताबें राजनीति से जुड़े लोगों के हाथों में देखी जा रही है।
डॉ. वृंदावनलाल वर्मा के बारे
डॉ.वंदावनलाल वर्मा का जन्म 9 जनवरी 1889 को उत्तर प्रदेश के झांसी के मऊरानीपुर में हुआ। 23 फरवरी 1969 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। वर्ष 1909 में इन्होंने 'सेनापति ऊदल" नामक नाटक लिखा, जिसमें विद्रोही तेवर होने के चलते तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर प्रतिबंधित कर दिया। वर्मा को उनके साहित्यिक रचनाओं के लिए भी जाना जाता है, जिसके लिए उन्हें पद्म भूषण से भी नवाजा गया है। साथ ही उनका डाक टिकट भी जारी किया गया।
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई उपन्यास के बारे में
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई उपन्यास का प्रथम प्रकाशन सन 1946 में हुआ था। इसके बाद वर्ष 1951 में इस उपन्यास का पुन: प्रकाशन किया गया था। उपन्यास 1857 के विद्रोह की आधुनिक व्याख्या को प्रस्तुत करता है। लेखक डॉ.वृदावनलाल वर्मा ने उपन्यास की भूमिका में लिखा है कि रचना इस खोज से संबंधित थी कि क्या रानी ने वास्तव में स्वराज के लिए लड़ाई लड़ी थी, या वह केवल अपने शासन को बचाना चाहती थीं। रचना के लिए उन्हें जो भी लिखित दस्तावेज प्राप्त हुए, पर्याप्त नहीं थे। कई लोगों के साक्षात्कार का सार यह था कि रानी ने अंग्रेजों से स्वराज के लिए युद्ध किया था।