स्मार्ट फेंसिंग लगाने वाला पहला देश नहीं है भारत, कई और देश कर चुके हैं इस्तेमाल
दुनिया में भारत अकेला देश नहीं है जो सीमा पर स्मार्ट फेंसिंग लगा रहा है। लेकिन इससे अवैध घुसपैठ को रोकने में जरूर मदद मिलेगी।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश में पहली बार लेजर एक्टिव बाड़ यानी स्मार्ट फेंस लगाए जाने की खबर हर जगह सुर्खियों में है। हालांकि इस तरह की फेंस की जरूरत काफी समय से की जा रही थी, खासतौर जम्मू कश्मीर की पाकिस्तान से लगती सीमा पर। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां से आतंकियों की घुसपैठ हमेशा से ही सुरक्षाबलों के लिए परेशानी का सबब बनती रही है। फिलहाल इसको जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तान से लगी सीमा पर 5-5 किलोमीटर के दो क्षेत्रों में पायलट परियोजना के तहत लगाया गया है। इस फेंस को लेकर हर किसी के मन में एक सवाल यह उठ रहा है कि आखिर यह फेंस क्या है और किस तरह से यह काम करती है। इसके अलावा एक और सवाल यह भी है कि आखिर किन-किन देशों में इस तरह की फेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन सवालों के जवाब तलाशने काफी जरूरी हैं। लेकिन पहले यह जान लेते हैं कि इस तरह की स्मार्ट और हाईटेक फेंसिंग का सहारा किन-किन देशों ने अपने यहां अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए लिया है।
इजरायल
इजरायल ने जोर्डन से लगती सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए स्मार्ट फेंसिंग का सहारा लिया है। करीब तीस किमी के दायरे में फैली इस सीमा पर अफ्रीकी शरणार्थियों के रूप में जिहादी ग्रुप के आतंकी भी घुसपैठ करने में सफल हो जाते थे। वर्ष 2015 में इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतनयाहू ने स्मार्ट फैंसिंग की योजना को हरी झंडी दी थी। इजरायल की ही कंपनियां कई देशों में इस तरह की फेंसिंग का निर्माण करने में लगी हैं।
अमेरिका
वर्ष 2017 में अमेरिका ने मेक्सिको से लगती अपनी सीमा पर अवैध घुसपैठ रोकने के लिए स्मार्ट फेंसिंग लगाने के लिए इजरायल की कंपनी एलबिट सिस्टम से करार किया था। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 में चुनाव जीतने के तुरंत बाद इस सीमा पर दीवार बनाने की बात कही थी। उन्होंने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि इस सीमा से मेक्सिकन अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश कर यहां के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। यह फेंसिंग लगभग ऐसी ही है जैसी भारत में पाकिस्तान की सीमा पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगाई गई है। इस हाईटेक फेंसिंग में ऑब्जरवेशन टावर के अलावा इसमें एडवांस्ड सेंसर, रडार और सेंसर टावर, मॉनिटर यूनिट और हाईटेक कम्यूनिकेशन सिस्टम शामिल है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका की मेक्सिको से करीब 3360 मील की सीमा लगती है। अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल इस सीमा दो लाख लोग अवैध रूप में अमेरिका में एंट्री लेते हैं। इसी सीमा से भारी मात्रा में अमेरिका में ड्रग्स सप्लाई भी की जाती है। यह कारोबार करीब 30 बिलियन डॉलर का है।
सऊदी अरब
वर्ष 2014 में सऊदी अरब ने इराक से लगती अपनी सीमा पर भी हाईटेक फेसिंग लगवाई का काम शुरू किया था। पहले फेज में इसके उत्तरी फ्रंट पर करीब 900 किमी की सीमा पर इस तरह की फेंसिंग की गई थी। इस फाइव लेयर फेसिंग में नाइट विजन कैमरा, वाच टावर, राडार यूनिट और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क शामिल थी। इससे सीमा से लगते 32 केंद्रों को जोड़ा गया, करीब 78 मॉनिटरिंग टावर बनाए गए, सीमा के नजदीक 50 रडार स्थापित किए गए और करीब डेढ़ लाख मीटर लंबी फाइबर ऑप्टिकल केबल डाली गई। इस स्मार्ट फेंसिंग के लिए वर्ष 2009 में सऊदी अरब ने यूरापियन एयरोस्पेस के साथ करार किया था। इसके तहत करीब 9 हजार किमी की लंबी सीमा पर यह लगानी थी।
बुल्गारिया-हंगरी और मोरक्को
बुल्गारिया और हंगरी ने भी अवैध घुसपैठ की घटनाओं से पार पाने के लिए वर्ष 2015 में इजरायल की कपंनी से सीमा पर स्मार्ट फेंसिंग लगाने का करार किया था। आपको बता दें कि इराक, मिस्र, इरान और लीबिया से लोग इन देशों में अवैध घुसपैठ के माध्यम से आए हैं। इजरायल की कंपनी मेग्ना बीएसपी से इन देशों ने करार किया था। इसके अलावा मोरक्को ने भी अल्जीरिया की तरफ से होने वाली अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए इसी तरह की फेंसिंग का सहारा लिया है।
कैसे करती है काम स्मार्ट फेंसिंग
भारत में पाकिस्तान से लगी सीमा पर लगने वाले हाईटेक सर्विलांस सिस्टम की मदद से जमीन, पानी और हवा में एक अदृश्य इलेक्ट्रानिक बैरियर तैयार किया जा सकता है। भारत में इसकी मदद से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को घुसपैठियों को पहचानने और इसको रोकने में मदद मिलेगी। स्मार्ट फेंस में सतर्कता, निगरानी, संचार और डाटा स्टोरेज के लिए कई उपकरण लगे होते हैं। इसमें थर्मल इमेजर, अंडरग्राउंड सेंसर, फाइबर ऑप्टिकल सेंसर, रडार और सोनार जैसे बेहद खास और हाईटेक उपकरण स्मार्ट फेंस में विभिन्न स्थानों पर लगाए जाते हैं। लेजर फेंस में अन्य उपकरण जोड़कर एक अदृश्य इलेक्ट्रानिक दीवार बनाई गई है।
अत्याधुनिक बाड़
इस अत्याधुनिक बाड़ के सीसीटीवी फीड तत्काल बीएसएफ की एक चौकी को पहुंचेंगे। सुरंग, रडार और सोनार सिस्टम से सीमा पर नदी के किनारों को सुरक्षित किया जा सकेगा। कमांड और कंट्रोल सिस्टम सभी सर्विलांस उपकरणों से डाटा को रियल टाइम में रिसीव करेंगे। इन्फ्रा-रेड और लेजर बेस्ड इंट्रूजन डिटेक्टर्स जमीन और नदी के आसपास के क्षेत्रों में एक अदृश्य दीवार का काम करेंगे जबकि सोनार सिस्टम नदी के रास्ते घुसपैठ की कोशिशों को पकड़ लेगा। ऐरोस्टेट तकनीक आसमान में किसी भी हरकत पर नजर रखेगी। सुरंग के रास्ते घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए भूमिगत सेंसर लगातार निगरानी करेंगे।
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