पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, 4.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर अस्वीकार्य, चिंताजनक
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समाज में 'गहराती आशंकाओं' को दूर करने और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाने का आग्रह किया जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके।
समाज में विश्वास और आत्मविश्वास का ताना-बाना टूटा
अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण देते हुए सिंह ने कहा कि आपसी विश्र्वास हमारे सामाजिक लेनदेन का आधार है और इससे आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है। लेकिन 'अब हमारे समाज में विश्र्वास, आत्मविश्र्वास का ताना-बाना टूट गया है।' उन्होंने कहा, 'हमारा समाज गहरे अविश्र्वास, भय और निराशा की भावना के विषाक्त संयोजन से ग्रस्त है।' यह देश में आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि को प्रभावित कर रहा है।
जीडीपी को लेकर कांग्रेस का भाजपा पर तंज
वहीं, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर जीडीपी को लेकर भाजपा पर तंज किया है। उन्होंने लिखा, 'भारत की जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी हो गई है। यह पिछले छह वषरें में किसी भी तिमाही में सबसे कम जीडीपी दर है।' उन्होंने कहा, 'भाजपा जश्न क्यों मना रही है? क्योंकि जीडीपी के बारे में उनकी समझ ' गोडसे डिवाइसिव पॉलिटिक्स' है जो उन्हें दोहरे अंक में विकास दर का अहसास कराता है।'
प्याज की कीमत पर सरकार पर निशाना
कांग्रेस ने देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्याज के आयात के निर्णय में देरी करने से कीमतें बढ़ती जा रही हैं।
पार्टी प्रवक्ता सुप्रिय श्रीनेत ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, 'आज प्याज का दाम कई जगहों पर बढ़कर 120 से 130 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि किसान को अब भी 8 से 9 रुपए प्रति किलो ही दाम मिल रहा है।' उन्होंने कहा, 'आप इतिहास में जाकर देखें तो पता चलेगा कि भाजपा और प्याज का गहरा संबंध है। ऐसा लगता है कि भाजपा और प्याज बार-बार लोगों को रुलाते हैं। महंगाई डायन मारे जात है, बिल्कुल जैसे लगता है कि सच प्रतीत हो रहा है।'